देहरादून: पिछले एक साल से दुनिया जिस कोरोना वायरस की लड़ाई को लड़ रहा है अब उसकी लड़ाई अंतिम चरण में आ गई है. देशभर में अब कोविड-19 वैक्सीनेशन होना है. पूरा विश्व इस समय वैक्सीनेशन को लेकर तैयारियों में जुटा हुआ है. वहीं, वृहद स्तर पर होने वाले इस टीकाकरण को लेकर टेक्नोलॉजी की भी एक अपनी अलग महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है. जिसका जीता जागता उदाहरण उत्तराखंड के आईटीडीए विभाग में देखा जा सकता है. जहां पर ड्रोन के माध्यम से दुर्गम इलाकों तक वैक्सीन पहुंचाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.
कोरोना वैक्सीनेशन में अहम भूमिका निभाएगा ड्रोन. ये भी पढ़ें-पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल को ग्लोबल ग्रीन अवार्ड 2020 से किया गया सम्मानित
उत्तराखंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट अथॉरिटी के डायरेक्टर अमित सिन्हा ने ईटीवी भारत को बताया कि उत्तराखंड आईटीडीए में मौजूद ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर में पिछले लंबे समय से कई तरह के नए प्रयोग किए जा रहे हैं. जिसमें बैलून के माध्यम से कम्युनिकेशन सबसे पहले शुरू किया गया था. उसके बाद ड्रोन के माध्यम से मेडिसिन भी पहुंचाई गई थी. इन्हीं, पुराने अनुभवों को देखते हुए इस वक्त वैक्सीनेशन को लेकर भी इसकी मदद ली जा सकती है.
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आईटीआई के डायरेक्टर अमित सिन्हा ने बताया कि आईटीडीए ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर में वैक्सीन बॉक्स का प्रोटोटाइप बनाकर ड्रोन से इसे पहुंचाने को लेकर अध्ययन किया जा रहा है. वहीं, इस प्रैक्टिस में सारे मानकों और सावधानियों का भी विशेष तौर से ध्यान रखा जाए, इस पर भी फोकस किया जा रहा है. जिसके लिए लगातार स्वास्थ्य विभाग से भी ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर की टीम लगातार को-आर्डिनेट कर रही है.
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उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ड्रोन से वैक्सीन पहुंचाने के कॉन्सेप्ट को बेहद गंभीरता से देखा जा रहा है. यहां के दुर्गम इलाकों में इस तरह के कांसेप्ट को बेहद सकारात्मक हैं. वहीं, आईटीडीए द्वारा इससे पहले किए गए प्रयोग से इस प्रयोग के सफल होने और सार्थक होने के निशान स्पष्ट नजर आते हैं.
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बहरहाल, इस वक्त पूरे प्रदेश में कोविड वैक्सीन का ड्राई रन किया जा रहा है. जिसमें अलग-अलग तरह के अध्ययन चुनौतियां और संभावनाओं को गहनता से देखा जा रहा है. इसी में से दुर्गम इलाकों में वैक्सीन को पहुंचाना भी एक अहम हिस्सा है. जिसको लेकर ड्रोन एक बेहतर विकल्प है. अब देखना होगा कि यह विकल्प आगे आने वाले समय में और कितना ज्यादा कारगर साबित होता है.