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ड्रोन टेक्नोलॉजी: सीमा सुरक्षा के साथ आपदा में वरदान साबित होगा 'नवनेत्र', जानिए कैसे

उत्तराखंड आईटीडीए विभाग देश की सेना को ड्रोन तकनीक में निपुण बनाने के लिए विशेष ट्रेनिंग अभियान चला रहा है. इसके अलावा ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर द्वारा मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन को डेवलप किया गया है, जिसका नाम 'नवनेत्र' रखा गया है. यह सिस्टम एक तरह से ड्रोन एंबुलेंस की तरह काम करता है.

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Published : Jun 7, 2022, 1:23 PM IST

Updated : Jun 7, 2022, 1:37 PM IST

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ड्रोन टेक्नोलॉजी

देहरादूनःउत्तराखंड आईटीडीए (Information Technology Development Agency) के तहत बनाया गया ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर एक तरफ देश की सीमाओं को सुरक्षित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. दूसरी तरफ तकनीक के जरिए आपदा जैसे बेहद संवेदनशील समय में आधुनिक तकनीकी के जरिए राहत के नए अवसरों को पैदा कर रहा है.

सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों को ड्रोन की ट्रेनिंग:उत्तराखंड आईटीडीए विभाग देश की सेना को ड्रोन तकनीक में निपुण बनाने के लिए विशेष ट्रेनिंग अभियान चला रहा है. यह ट्रेनिंग अभियान बेहद गोपनीय है. उत्तराखंड आईटीडीए अपने ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर के तहत अब तक 1163 लोगों को प्रशिक्षण दे चुका है. इस अभियान के तहत बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ के अलावा राज्यों की पुलिस को भी ड्रोन प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस शामिल हैं. उत्तराखंड आईटीडीए के निदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि ट्रेनिंग अभियान के तहत ना केवल ड्रोन ऑपरेशन बल्कि सीमा के करीब आने वाले अननोन फ्लाइंग ऑब्जेक्ट के एग्जामिनेशन को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

सीमा सुरक्षा के साथ आपदा में वरदान साबित होगा 'नवनेत्र'

लोकल एंथ्रोपी नियर को भी ट्रेनिंग: उत्तराखंड ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर ना केवल सैनिकों को बल्कि टेक्निकल एजुकेशन और लोकल व्यवसाय में भी अपनी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसमें पॉलिटेक्निक और बीटेक के छात्रों के अलावा लोकल व्यवसायियों को भी ड्रोन ऑपरेशन की ट्रेनिंग दे रहा है, जिसके लिए ITDA कई कोर्स चला रहा है.
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'नवनेत्र' प्रोग्राम है मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन: उत्तराखंड ITDA के तहत ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर द्वारा मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन को डेवलप किया गया है, जिसका नाम 'नवनेत्र' रखा गया है. यह सिस्टम एक तरह से ड्रोन एंबुलेंस की तरह काम करता है, जिसमें ड्रोन ऑपरेशन चलाया जाता है. खासतौर से आपदाग्रस्त क्षेत्र जहां पर की पूरी तरह से कनेक्टिविटी खत्म हो चुकी हो, वहां पर यह मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल वाहन पहुंच कर सीधे आपदाग्रस्त इलाके की लाइव किसी भी जगह भेज सकता है. साथ ही इस कंट्रोल स्टेशन में पावर बैकअप लगा हुआ है, जोकि हर वक्त ड्रोन ऑपरेशन को जारी रख सकता है. इसके अलावा इस ग्राउंड कंट्रोल वाहन में ऑन साइड डाटा प्रोसेसिंग, यूनिट लाइव मॉनिटरिंग और इमेज प्रोसेसिंग कंप्यूटर भी लगे हुए हैं जो कि आपदा के समय आपदा के आकलन और राहत बचाव कार्य के लिए बेहद लाभदायक साबित होने जा रहे हैं.

ड्रोन ईको सिस्टम से बन रहा तकनीकःउत्तराखंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक, ड्रोन के क्षेत्र में एक ड्रोन इकोसिस्टम बनाया जा रहा है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग वर्क, फोर्स जॉब जनरेशन के अलावा गवर्नमेंट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. इस तरह से जहां एक तरफ ड्रोन टेक्नोलॉजी को विकसित करने के बाद उत्तराखंड में ड्रोन निर्माण के लिए आईटी सेक्टर की कई कंपनियों के लिए अवसर खुलेंगे तो वहीं, ड्रोन में काम करने वाले कुशल लोगों को भी तैयार किया जा रहा है. इसके बाद इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. साथ ही सरकार की जोड़ी कई अलग-अलग योजनाओं में ड्रोन की उपयोगिता को बढ़ावा दिया जाएगा.

Last Updated : Jun 7, 2022, 1:37 PM IST

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