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पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे गए डॉ. भूपेंद्र कुमार और प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा - President ramnath kovid

राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज चिकित्सा क्षेत्र में डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह और किसान प्रेम चंद शर्मा को पद्मश्री सम्मान देकर सम्मानित किया.

पद्मश्री पुरस्कार 2021
पद्मश्री पुरस्कार 2021

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Published : Nov 9, 2021, 12:40 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 7:18 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की पांच विभूतियों को इस साल पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया है. जहां कल नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हैस्को प्रमुख पर्यावरणविद् डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण, जबकि पर्यावरणविद् कल्याण सिंह और डॉ.योगी एरन को पद्मश्री सम्मान देकर सम्मानित किया. वहीं, आज चिकित्सा क्षेत्र में डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह और किसान प्रेम चंद शर्मा को पद्मश्री सम्मान देकर सम्मानित किया गया.

बता दें कि दून के विश्व विख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में जाना-माना नाम हैं. सर्जरी में हासिल की गई उपलब्धियों को देखते हुए ही उनका नाम लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. वहीं, सामाजिक उपलब्धियों के लिए उन्हें आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा है. पद्मश्री सम्मान मिलने से उत्तराखंडवासियों में बेहद खुशी है.

डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह और किसान प्रेम चंद शर्मा को मिला पद्मश्री सम्मान.

31 अगस्त 1956 में जन्मे डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय ने वर्ष 1980 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से एमबीबीएस किया था. फिर उन्होंने पीजीआइ चंडीगढ़ और सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में सेवा दी. इसके बाद वह स्वीडन, जापान, अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया में फेलोशिप के जरिये अपना हुनर तराशते रहे. उनके नाम कई रिसर्च जर्नल भी हैं. इनमें न केवल भारतीय, बल्कि कई विदेशी जर्नल भी शामिल हैं. वह अतिथि प्राध्यापक के रूप में जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, मलेशिया सहित कई देशों में व्याख्यान भी दे चुके हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड की इन विभूतियों को मिले पद्म पुरस्कार, राष्ट्रपति कोविंद ने किया सम्मानित

वहीं, देशभर में विख्यात प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा खेती और बागवानी में उत्कृष्ट कार्य के लिए इस बार पद्मश्री सम्मान के नवाजे गए हैं. उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के दुर्गम इलाकों में विज्ञानी विधि से खेती-बागवानी की अलख जगाने के साथ ही उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तमाम पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है. ऐसे में अब उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने से सभी बेहद खुश हैं.

प्रेमचंद शर्मा का जन्म देहरादून जनपद से सटे जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र जौनसार-बावर के चकराता ब्लॉक के सीमांत गांव अटाल में वर्ष 1957 में एक किसान परिवार में हुआ था. महज पांचवीं कक्षा तक शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करने वाले प्रेमचंद को खेती-किसानी विरासत में मिली थी. बचपन में ही वह पिता स्व. झांऊराम शर्मा के साथ खेतीबाड़ी से जुड़ गए और उनकी खेत-खलिहान की पाठशाला में किसानी के गुर सीखने लगे. पिता के निधन के बाद खेतीबाड़ी का पूरा बोझ उन्हीं के कंधों पर आ गया.

Last Updated : Nov 9, 2021, 7:18 PM IST

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