देहरादूनःउत्तराखंड में महंगी कोचिंग और शिक्षा के बीच मेहनत के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के साथ धोखा किया जा रहा है. यह बात आयोग की ओर से कराई जा रही उस परीक्षा के पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak) होने से साबित होती है, जिसकी किसी को कानों कान भी खबर नहीं हुई. हैरानी की बात ये है कि परीक्षा भी करा दी गई और सभी पालियों में पेपर लीक होने के बावजूद भी आगे की चयन प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया, लेकिन जब यह मामला खुला तो सबने दांतों तले उंगली दबा ली.
दरअसल, नकल माफियाओं ने इस परीक्षा में ऐसा जाल बुना था, जिसने युवाओं के भविष्य को ही दांव पर लगा दिया था. हैरानी की बात यह है कि इस मामले में सचिवालय के कर्मचारी से लेकर पुलिस के कर्मचारी और न्यायिक सेवा में काम कर रहे एक कर्मी तक की गिरफ्तारी हो चुकी है. इतना ही नहीं परीक्षा कराने वाली एजेंसी में काम करने वाले कर्मचारी भी इसमें आरोपी बनाए गए हैं. हैरानी की बात ये है कि इतने बड़े स्तर पर हुई इस धांधली का आयोग के बड़े अधिकारियों को कैसे पता नहीं चला, यह समझ से परे है. हालांकि, एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही है और कई लोगों की गिरफ्तारियां भी हो चुकी है, लेकिन एसटीएफ की असली परीक्षा तो उन बड़े चेहरों को बेनकाब करने से जुड़ी है, जो ऐसी धांधलियों को ऊपर से संरक्षण दे रहे थे.
बहरहाल, पिछले दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) के सचिव संतोष बडोनी ने ये कहकर इस्तीफा दे दिया कि आयोग में इतनी बड़ी धांधली के लिए वे अपनी नैतिक रूप से जिम्मेदारी ले रहे हैं. इतना कहकर उन्होंने सरकार को भी पत्र लिखकर आयोग में कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर परीक्षाओं को रोके जाने की भी बात कह दी, लेकिन सरकार की तरफ से यूकेएसएसएससी आयोग के पूर्व अध्यक्ष एस राजू (Former UKSSSC Chairman S Raju) के इस निवेदन पर अब तक कोई आदेश नहीं दिया गया है.