देहरादून: 20 अगस्त की सुबह देहरादून और टिहरी जिले के सीमावर्ती क्षेत्र धनौल्टी, मसूरी और रायपुर क्षेत्र में आई भारी त्रासदी (Disaster in Dehradun and Tehri district) के बाद आपदा राहत कार्यों को लेकर दोहरे मापदंड के सवाल (Questions arising regarding relief work) उठ रहे हैं. जहां एक तरफ देहरादून क्षेत्र में मुख्यमंत्री, तमाम विधायक, मंत्री सहित तमाम आला अधिकारी पहुंच रहे हैं. वहीं, टिहरी में इसके उलट हाल है और यहां कोई झांकने तक नहीं आया. केवल धनौल्टी विधायक प्रीतम सिंह पंवार आपदाग्रस्त क्षेत्र तक पहुंचे और ग्रामीणों का दर्द बांटा.
टिहरी और देहरादून जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में आई भारी त्रासदी में बांदल नदी से लगी देहरादून जिले की 2 विधानसभाओं मसूरी और रायपुर क्षेत्र के अलावा टिहरी जिले की धनौल्टी विधानसभा में भारी त्रासदी (Huge tragedy in Dhanaulti assembly) आई. आपदाग्रस्त इलाकों में मसूरी विधानसभा का सरखेत गांव (Sarkhet village of Mussoorie assembly), रायपुर विधानसभा का मालदेवता क्षेत्र और धनौल्टी विधानसभा के दर्जनों गांव इस आपदा की चपेट में आए.
टिहरी में आई आपदा के बाद की तस्वीरें. आपदा राहत कार्यों की अगर बात करें तो राज्य प्रशासन, मीडिया के अलावा स्वयं सेवी संगठनों और संस्थानों के आपदा से प्रभावित देहरादून जनपद के सरखेत (Sarkhet of disaster affected Dehradun) को ही फोकस किये जाने का आरोप टिहरी की धनौल्टी विधानसभा के ग्रामीण लगा रहे हैं.
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बता दें कि, बांदल नदी के इस ओर पड़ने वाले देहरादून जनपद के सरखेत इलाके में आपदा के राहत बचाव कार्य बेहद तेज गति से चल रहे हैं, लेकिन बांदल नदी के ठीक उस पार टिहरी जिले की धनौल्टी विधानसभा का आपदाग्रस्त क्षेत्र लोअर सकलाना, जिसमें कुमाल्डा, सीतापुर, ग्वाड, ताक्षिळा, जैंतवाडी, चिफल्डी, तौलियाकाटल, ग्वालीडांडा, सौंदणा, रगडगांव, सेरा, घुडसालगांव, पातालगढ, घेना, ताल, कट्ठू की चैल, सतेंगल, धौलागिरी, ल्वारखा इत्यादि गांव आते हैं.
आपदाग्रस्त क्षेत्र तक पहुंचे विधायक प्रीतम सिंह पंवार. वहां इस तरह की तेजी नहीं देखी जा रही है. जबकि यहां हालात सरखेत से कई गुना अधिक खराब हैं. इन इलाकों में सबसे ज्यादा 11 लोगों की जान गयी है और सैकड़ों लोग बेघर हो गये हैं. कई वाहन नदी में समा गये हैं. धनौल्टी विधानसभा के निवासी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस बात का अफसोस जताया है कि धनौल्टी के इन इलाकों में न तो राज्य प्रशासन का ध्यान है, न मीडिया का. इस तरह से एक ही राज्य के दो जिलों में यह दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा, ये समझ के परे है.