देहरादून: प्रदेश में मॉनसून सीजन शुरू होने के बाद से लेकर अब तक करीब दो दर्जन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. इसके साथ ही दर्जनों घर जमींदोज हो चुके हैं. लगातार हो रही बारिश से प्रदेश की तमाम सड़के अवरुद्ध हो गई हैं. जिसके कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. आफत की बारिश के पनप रही अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने शासन और प्रशासन के पसीने छूटते नजर आ रहे हैं. उत्तराखंड भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि यहां आपदा जैसी स्थिति आम सी बात है. जिनसे निपटने के लिए सरकार वैज्ञानिक तकनीकों का सहारा ले रही है. इसी कड़ी में राज्य सरकार डॉप्लर रडार लगाने पर विचार कर रही है.
आपदा के बाद डॉप्लर रडार लगाने की उठी थी मांग
पहली बार साल 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद उत्तराखंड में डॉप्लर रडार लगाए जाने की मांग उठी थी. साल 2013 में आयी भीषण आपदा की जानकारी मौसम विभाग सटीक तरीके से नहीं दे पाया था. जिसके बाद से ही राज्य में डॉप्लर रडार लगाने की मांग उठने लगी थी. डॉप्लर रडार सेप्रदेश में आने वाली आपदा जैसी स्थितियों की पहले ही सटीक तरीके से जानकारी ली जा सकती है. जिससे आपदा से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.