देहरादून: उत्तराखंड में अक्सर मौसम का मिजाज बदलता रहता है. जिसकी वजह से यहां प्राकृतिक आपदा (natural calamity) , बादल फटना (cloud brust) और आकाशीय बिजली गिरने जैसी घटनाएं होती रहती हैं. जिसको देखते हुए केंद्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के सामंजस्य से राज्य मौसम विज्ञान केंद्र (Meteorological Center Dehradun) की ओर से चार अलग-अलग स्थानों में डॉप्लर रडार (doppler radar) स्थापित किए जा रहे हैं. ऐसे में सचिव आपदा प्रबंधन विभाग एसए मुरुगेशन ने मौसम विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर डॉप्लर रडार स्थापित किए जाने की प्रगति के संबंध में जानकारी ली.
बैठक में मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून (Meteorological Center Dehradun) के प्रभारी निदेशक रोहित थपलियाल ने बताया कि वर्तमान में मुक्तेश्वर में डॉप्लर रडार स्थापित (Doppler radar installed in Mukteshwar) किया जा चुका है. इसके माध्यम से लगातार मौसम संबंधित डाटा प्राप्त (weather data) हो रहा है. इसके अलावा टिहरी जनपद के सुरकंडा और पौड़ी जनपद के लैंसडाउन में डॉप्लर रडार स्थापित किए जाने की तैयारी की जा रही है.
इस पर सचिव आपदा प्रबंधन की ओर से एयरलिफ्टिंग (airlifting) के माध्यम से रडार के उपकरणों को सुरकंडा और लैंसडाउन तक जल्द से जल्द पहुंचाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही उनकी ओर से यह आश्वासन भी दिया गया कि आपदा प्रबंधन विभाग, मौसम विभाग को डॉप्लर रडार स्थापित करने में हर तरह का सहयोग प्रदान करेगा.
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बता दें कि साल 2013 में केदारनाथ धाम में आई आपदा के बाद से ही प्रदेश में मौसम की सटीक जानकारी के लिए अलग-अलग स्थानों में डॉप्लर रडार स्थापित करने की मांग उठने लगी थी. दरअसल डॉप्लर रडार एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (electronic device) है, जो 400 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी प्रदान करता है. यह वातावरण में फैले अति सूक्ष्म तरंगों को भी कैच करने की क्षमता रखता है. इसके साथ ही वातावरण में तैर रही पानी की बूंदों को पहचानने और उसकी दिशा का भी पता लगाने में यह रडार पूरी तरह से सक्षम है. इस उपकरण के माध्यम से किस क्षेत्र में कितनी बारिश होगी इसका पता लगाया जा सकता है. साथ ही यदि कहीं तेज तूफान आने वाला हो तो इसके संकेत भी यह उपकरण पहले ही दे देता है.