देहरादून: कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सरकारों से लेकर आमजन तक विशेष एहतियात बरती जा रही हैं. ऐसे में हर उस संभावना को परखा जा रहा है, जहां से संक्रमण फैलने का खतरा है. ऐसा ही खतरा कोविड-19 अस्पतालों से निकलने वाले कूड़े से भी हो सकता है. ऐसे में ईटीवी भारत ने इस बात की पड़ताल की है कि आखिर देहरादून में मौजूद कोविड-19 अस्पताल यानी दून मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का निस्तारण किस तरह किया जा रहा है?
इस बात की पूरी पड़ताल करने ईटीवी भारत संवाददाता प्रदेश के सबसे बड़ी सरकारी अस्पताल और देहरादून के सभी 20 कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे दून मेडिकल कॉलेज पहुंचे और कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सायना से बात की. उन्होंने बताया कि मेडिकल वेस्ट निस्तारण WHO की गाइड लाइन के अनुसार ही किया जा रहा है. इसके लिये कूड़ा निस्तारण कमेटी का गठन किया गया है, जिसका काम है कि अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों को कूड़ा निस्तारण को लेकर जागरुक करना. इस बात की मॉनिटरिंग करना कि कूड़ा निस्तारण नियमों और मानकों के अनुरूप हो रहा है या नहीं. अस्पताल में सभी जगहों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ादान लगाए गए हैं.
मानकों के अनुरूप हो रहा कूड़े का निस्तारण
- डिस्पोजल नियमावली के अनुसार किया जा रहा मेडिकल वेस्ट निस्तारण
- वेस्ट निस्तारण के लिए एक कमेटी का गठन
- कमेटी का काम डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों को जागरूक करना
- मेडिकल वेस्ट का निस्तारण नियमों और मानकों अनुसार करवाना
- अस्पताल में सभी जगहों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ादान लगाए