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ऐसे किया जाता है कोरोना मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल, विस्तार से जानें पूरी गाइडलाइन

कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए इन दिनों हर एक जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं. संक्रमण की हर एक संभावना और क्षेत्र को जांचा परखा जा रहा है, तो ऐसे में अस्पतालों से निकलने वाला कूड़ा भी कोरोना संक्रमण का एक जोखिम हो सकता है. इसी के चलते ईटीवी भारत की इस विशेष रिपोर्ट में देखिए क्या होता है कोविड-19 अस्पताल से निकलने वाले कूड़े के साथ.

Medical Waste Settlement
कोरोना से आर-पार की 'जंग' लड़ रहा दून मेडिकल कॉलेज

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Published : Apr 19, 2020, 8:17 PM IST

Updated : Apr 21, 2020, 5:31 PM IST

देहरादून: कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सरकारों से लेकर आमजन तक विशेष एहतियात बरती जा रही हैं. ऐसे में हर उस संभावना को परखा जा रहा है, जहां से संक्रमण फैलने का खतरा है. ऐसा ही खतरा कोविड-19 अस्पतालों से निकलने वाले कूड़े से भी हो सकता है. ऐसे में ईटीवी भारत ने इस बात की पड़ताल की है कि आखिर देहरादून में मौजूद कोविड-19 अस्पताल यानी दून मेडिकल कॉलेज में आइसोलेशन वार्ड से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का निस्तारण किस तरह किया जा रहा है?

इस बात की पूरी पड़ताल करने ईटीवी भारत संवाददाता प्रदेश के सबसे बड़ी सरकारी अस्पताल और देहरादून के सभी 20 कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे दून मेडिकल कॉलेज पहुंचे और कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सायना से बात की. उन्होंने बताया कि मेडिकल वेस्ट निस्तारण WHO की गाइड लाइन के अनुसार ही किया जा रहा है. इसके लिये कूड़ा निस्तारण कमेटी का गठन किया गया है, जिसका काम है कि अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों को कूड़ा निस्तारण को लेकर जागरुक करना. इस बात की मॉनिटरिंग करना कि कूड़ा निस्तारण नियमों और मानकों के अनुरूप हो रहा है या नहीं. अस्पताल में सभी जगहों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ादान लगाए गए हैं.

कोरोना मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिये जानें गाइडलाइन.

मानकों के अनुरूप हो रहा कूड़े का निस्तारण

  • डिस्पोजल नियमावली के अनुसार किया जा रहा मेडिकल वेस्ट निस्तारण
  • वेस्ट निस्तारण के लिए एक कमेटी का गठन
  • कमेटी का काम डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों को जागरूक करना
  • मेडिकल वेस्ट का निस्तारण नियमों और मानकों अनुसार करवाना
  • अस्पताल में सभी जगहों पर अलग-अलग रंगों के कूड़ादान लगाए

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दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ आशुतोष सायना के मुताबिक कोरोना इंफेक्शन भी अन्य इंफेक्शन की ही तरह है और इसके निस्तारण के लिए दून अस्पताल प्रबंधन WHO की डाइड लाइन का पूरा पालन कर रहा है. उन्होंने बताया कि कूड़ा निस्तारण का जिम्मा एक एजेंसी को सौंपा गाय है. जो रोजाना सुबह 3 बजे अस्पताल में आती है और अलग-अलग प्रकार के बायो मेडिकल वेस्ट को देहरादून से रुड़की स्थित अपने प्लांट पर ले जाती है. जहां इस कूड़े को विधिवत निस्तारित किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में किसी भी तरह के संक्रमण का जोखिम नहीं है.

क्या हैं WHO की गाइड लाइन

  • मरीजों के मेडिकल वेस्ट का निस्तारण 'एक्सपर्ट' टीम द्वारा ही किया जाए.
  • मेडिकल वेस्ट का निस्तारण राष्ट्रीय प्रणाली के अनुसार किया जाए
  • मेडिकल वेस्ट को एक निर्धारित कलर वाले थैलों में इकट्ठा करें
  • थैलों पर चेतावनी स्टीकर भी लगाएं
  • मेडिकल वेस्ट को रोजाना इकट्ठा करें
  • मेडिकल वेस्ट को रिसावप्रूफ व पंचर प्रूफ कंटेनरों में ही ले जाएं
  • डॉक्टर और नर्सों को जूते, दस्ताने, मास्क और फेस शील्ड अनिवार्य
  • आइसोलेशन वार्ड से निकलने के बाद खुद को सैनिटाइज करें

राजधानी का दून अस्पताल भी कोरोना से आर-पार की जंग के लिए तैयार है. कोरोना संक्रमण न फैले इसके लिए WHO की गाइडलाइन का पूरा पालन कर रहा है. इस बात की तस्दीक अस्पताल प्रबंधन की तैयारियां कर रही है.

Last Updated : Apr 21, 2020, 5:31 PM IST

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