देहरादून: पालतू हाथियों के अंगों की अवैध तस्करी वैसे तो अब देशभर में ही कर पाना धीरे-धीरे नामुमकिन हो जाएगा, लेकिन उत्तराखंड ने इस मामले में ऐसे अपराध पर पूरी तरह रोक लगा दी है. राज्य वन विभाग ने ऐसा हाथियों की यूनिक आईडी के बल पर कर दिखाया है. देश में सबसे पहले अरुंधति हाथी को पहचान देने वाले उत्तराखंड ने अब सभी पालतू हाथियों को उनकी आइडेंटिटी दे दी है. अब इंसानों की तरह राज्य के सभी पालतू हाथियों के पास उनका आधार कार्ड मौजूद है.
वन्य जीव संरक्षण को लेकर उत्तराखंड देश को लीड करता रहा है. हाथियों को लेकर चलाए गए एक प्रोजेक्ट में भी राज्य ने अपना वही कैलिबर दिखाया है. स्थिति यह है कि हाथियों की अवैध तस्करी को रोकने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय राज्यों को जो निर्देश दे रहा है, उस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड 100 फीसदी पूरा कर चुका है.
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केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पूर्व में देशभर के सभी राज्यों को पालतू हाथियों के यूनिक आईडी से जुड़े काम को लेकर विशेष निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत देशभर के पालतू हाथियों को उनकी अपनी पहचान दिलाई जानी थी. खुशी की खबर यह है कि उत्तराखंड सबसे पहले इस पर काम शुरू किया, अब राज्य के हर पालतू हाथी के पास अपना आधार कार्ड है. बता दें भारत सरकार ने देशभर के हाथियों को एक यूनिक आईडी के जरिए पहचान देने का फैसला लिया था. इसके लिए सभी राज्यों को दिशा-निर्देश भी दिए गए थे.
- राज्य के पालतू हाथियों को डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए दिए जा रहे हैं विशेष नंबर.
- इंसानों के आधार कार्ड की तरह ही इन नंबरों से हाथियों की हो पाएगी पहचान.
- उत्तराखंड ने सभी करीब 35 पालतू हाथियों को लगाई गई माइक्रो चिप.
- देशभर में करीब 3000 सरकारी पालतू हाथी और निजी स्वामित्व वाले हाथियों में भी माइक्रोचिप लगाने की प्रक्रिया जारी.
- देश में पालतू हाथियों के अंगों के अवैध व्यापार पर इससे लगेगी रोक.
- एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए इन पालतू हाथियों के लिए पासपोर्ट का काम करेगी यह चिप.
- देश में केरल, असम और गुजरात में सबसे ज्यादा पालतू हाथी हैं.