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उत्तराखंड में पालतू हाथियों को मिला 'आधार कार्ड', DNA प्रोफाइलिंग पूरी, लगाई गई माइक्रोचिप

वन्य जीव संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट में उत्तराखंड बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. इसी के तहत उत्तराखंड में पालतू हाथियों को माइक्रो चिप लगाने का काम पूरा कर लिया गया है. उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहां सभी पालतू हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग पूरी कर उन पर माइक्रो चिप लगा दी गई है.

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Published : Apr 23, 2023, 7:04 PM IST

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उत्तराखंड में पालतू हाथियों को मिला 'आधार कार्ड'

उत्तराखंड में पालतू हाथियों को मिला 'आधार कार्ड'.

देहरादून: पालतू हाथियों के अंगों की अवैध तस्करी वैसे तो अब देशभर में ही कर पाना धीरे-धीरे नामुमकिन हो जाएगा, लेकिन उत्तराखंड ने इस मामले में ऐसे अपराध पर पूरी तरह रोक लगा दी है. राज्य वन विभाग ने ऐसा हाथियों की यूनिक आईडी के बल पर कर दिखाया है. देश में सबसे पहले अरुंधति हाथी को पहचान देने वाले उत्तराखंड ने अब सभी पालतू हाथियों को उनकी आइडेंटिटी दे दी है. अब इंसानों की तरह राज्य के सभी पालतू हाथियों के पास उनका आधार कार्ड मौजूद है.

वन्य जीव संरक्षण को लेकर उत्तराखंड देश को लीड करता रहा है. हाथियों को लेकर चलाए गए एक प्रोजेक्ट में भी राज्य ने अपना वही कैलिबर दिखाया है. स्थिति यह है कि हाथियों की अवैध तस्करी को रोकने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय राज्यों को जो निर्देश दे रहा है, उस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड 100 फीसदी पूरा कर चुका है.

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केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पूर्व में देशभर के सभी राज्यों को पालतू हाथियों के यूनिक आईडी से जुड़े काम को लेकर विशेष निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत देशभर के पालतू हाथियों को उनकी अपनी पहचान दिलाई जानी थी. खुशी की खबर यह है कि उत्तराखंड सबसे पहले इस पर काम शुरू किया, अब राज्य के हर पालतू हाथी के पास अपना आधार कार्ड है. बता दें भारत सरकार ने देशभर के हाथियों को एक यूनिक आईडी के जरिए पहचान देने का फैसला लिया था. इसके लिए सभी राज्यों को दिशा-निर्देश भी दिए गए थे.

  • राज्य के पालतू हाथियों को डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए दिए जा रहे हैं विशेष नंबर.
  • इंसानों के आधार कार्ड की तरह ही इन नंबरों से हाथियों की हो पाएगी पहचान.
  • उत्तराखंड ने सभी करीब 35 पालतू हाथियों को लगाई गई माइक्रो चिप.
  • देशभर में करीब 3000 सरकारी पालतू हाथी और निजी स्वामित्व वाले हाथियों में भी माइक्रोचिप लगाने की प्रक्रिया जारी.
  • देश में पालतू हाथियों के अंगों के अवैध व्यापार पर इससे लगेगी रोक.
  • एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए इन पालतू हाथियों के लिए पासपोर्ट का काम करेगी यह चिप.
  • देश में केरल, असम और गुजरात में सबसे ज्यादा पालतू हाथी हैं.

देश और दुनिया में पालतू हाथियों के अंगों का एक बड़ा अवैध व्यापार है. खास बात यह है कि बिना पहचान के कारण इन हाथियों को आसानी से एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाकर इनके अवैध व्यापार की कोशिश भी होती है. लिहाजा डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए इन हाथियों को पहचान देकर एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के दौरान इसे पासपोर्ट के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. इतना ही नहीं पालतू हाथियों के स्वामित्व प्रमाण पत्र की वैधता को भी इससे जोड़ा जा सकता है.

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केंद्र सरकार की तरफ से देश के करीब 7 राज्यों में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था. इस मामले में उत्तराखंड की ही हथिनी अरुंधति को कॉर्बेट नेशनल पार्क में सबसे पहले माइक्रो चिप लगाई गई थी. इस बात को इस रूप में कह सकते हैं कि देश में अरुंधति पहली हथिनी थी, जिसको सबसे पहले पहचान मिली थी. इस दौरान कॉर्बेट नेशनल पार्क में निदेशक का पद संभालने वाले डॉक्टर समीर सिन्हा बताते हैं कि पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद सबसे पहले उनकी ही देखरेख में अरुंधति को माइक्रो चिप लगाई गई थी.

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उत्तराखंड के वाइल्ड लाइफ संरक्षण पर प्रयासों को इस रूप में देखा जा सकता है कि बेहद छोटा राज्य होने के बावजूद प्रदेश में संरक्षित वन क्षेत्रों का प्रतिशत बेहद ज्यादा है. यही नहीं राज्य में कई राष्ट्रीय पार्क भी मौजूद हैं. उधर कॉर्बेट नेशनल पार्क एशिया का ऐसा क्षेत्र है जहां 1200 से ज्यादा हाथी मौजूद हैं. हाथियों को लेकर राजाजी नेशनल पार्क समेत तमाम दूसरे वन क्षेत्रों में भी इनकी मौजूदगी बेहद ज्यादा दिखाई देती है. ऐसे में उत्तराखंड का वन्य जीव संरक्षण से जुड़े किसी प्रोजेक्ट में सबसे आगे रहना कोई ताज्जुब की बात नहीं है.

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