देहरादून: देश में एक समान मौलिक अधिकारों के तहत दिव्यांग, एचआईवी रोगियों को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी देने के सम्बंध में एक साल पहले केंद्र सरकार ने कानून में संशोधित किया था. एक साल बीत जाने के बाद भी बीमा कंपनियां इस तरह के लोगों की पॉलिसी को घाटे का सौदा मानकर उन्हें पॉलिसी बेचने से कतरा रहीं हैं. ऐसे में एक बार फिर सरकार ने बीमा कंपनियों को सर्कुलर जारी करते हुए आगामी अक्टूबर 2020 तक इस संबंध में प्रोगेसिव रिपोर्ट तलब की है.
बता दें कि इससे पहले देश में दिव्यांग, एचआईवी, मानसिक एवं शारीरिक रोग से ग्रस्त लोगों को बीमा पॉलिसी नहीं मिलती थी. ऐसे में केंद्र सरकार ने 2019 में ही बीमा पॉलिसी में संशोधन कर इस कैटेगरी में आने वाले लोगों को पॉलिसी देने के नियमों में बदलाव किया था. मगर फिर भी इससे इन लोगों को कोई राहत नहीं मिली है.
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इस संबंध में देहरादून एसबीआई मुख्य शाखा के निवेश सलाहकार जितेंद्र कुमार डंडोंन ने बताया कि आईआरडीएआई द्वारा निर्देश देने के बावजूद बीमा कंपनियां इसलिए दिव्यांग, एचआईवी व शारीरिक रूप से ग्रस्त लोगों को पॉलिसी नहीं देती हैं.ये इन्हें घाटे का सौदा मानकर बीमा नहीं देती. जबकि देश में एक समान कानून पर मौलिक अधिकारों के तहत ही केंद्र सरकार ने पिछले दिनों इस कानून में संशोधन किया था.