देहरादून: हरिद्वार कुंभ कोविड टेस्ट फ्रॉड मामले में ईडी की छापेमारी पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी माना है कि कोरोना जांच घोटाला बेहद ही गंभीर व संवेदनशील है. इस फर्जीवाड़े में जो भी शामिल है, उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा. जांच एजेंसियां निष्पक्ष होकर जांच कर रही हैं.
बता दें, बीते रोज शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मामले में मुख्य रूप से आरोपित मैक्स मेडिकल कॉर्पोरेट सर्विस सहित 4 पैथोलॉजी लैब और संचालकों के आवासीय स्थानों पर छापेमारी की है. ईडी की कार्रवाई के दौरान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा व दिल्ली में आरोपियों के ठिकाने से 30 लाख से अधिक की नकदी, मेडिकल के फर्जी बिल, प्रॉपर्टी संबंधी दस्तावेज, लैपटॉप और मोबाइल फोन बरामद किये गए हैं. हालांकि, अभी ईडी की कार्रवाई आरोपित लोगों के खिलाफ जारी है.
हरिद्वार महाकुंभ कोविड टेस्ट घोटाला मामले में करोड़ों रुपये के सरकारी धन के बंदरबांट के मामले भी एक के बाद एक सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय से कोरोना टेस्टिंग के नाम पर अब तक लगभग साढ़े तीन करोड़ वसूल किए जा चुके हैं. वहीं, इस घोटाले की जांच के घेरे में देहरादून के भी कई पैथोलॉजी लैब्स की मिलीभगत सामने आ रही है, जिसको लेकर संबंधित ईडी सहित अन्य एजेंसियां जांच में जुटी हैं.
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करोड़ों का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे. आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.