देहरादून: उत्तराखंड में धामी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार की प्राथमिकताओं को लेकर जानकारी दी. इस दौरान सीएम धामी ने सभी सेक्टर्स में 100 दिनों के भीतर काम किए जाने के प्रयास पर अपनी बात रखी. सीएम धामी ने खास तौर उन दो घोषणाओं का जिक्र किया, जिसको लेकर सरकार ने निर्णय लिया. ईटीवी भारत से बातचीत में सीएम धामी ने 100 दिनों के कार्यों की संक्षिप्त जानकारी दी.
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के 100 दिनों के दौरान हुए कार्यों का न केवल संगठन, बल्कि सरकार अपने स्तर से जनता के सामने बखान कर रही है. ईटीवी भारत ने भी सरकार के 100 दिनों में हुए कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बातचीत की. इस दौरान सीएम धामी ने अपने प्रयासों के बारे में बताया और राज्य में रोजगार देने से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रयास किए जाने की बात कही.
धामी सरकार के सौ दिन पूरे मुख्यमंत्री ने कहा सरकार पूरे सामंजस्य के साथ काम कर रही है. नौकरशाही को साथ लेकर राज्य के विकास को आगे बढ़ाए जाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, किसी भी सरकार के लिए 100 दिन बेहद कम होते हैं, लेकिन इन 100 दिनों के अंदर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खासतौर पर उन दो प्रयासों को गिनाया, जो भाजपा के चुनावी घोषणाओं में भी शामिल थे. मुख्यमंत्री ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए बनाई गई कमेटी से लेकर अंत्योदय परिवारों के लिए तीन मुफ्त गैस सिलेंडर दिए जाने की जानकारी दी.
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यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर ड्राफ्ट कमेटी गठित:बता दें कि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए बीती 27 मई को पांच सदस्यीय ड्राफ्ट कमेटी का गठन कर दिया है. इस ड्रॉफ्ट कमेटी की पांच सदस्यीय टीम में सुप्रीम की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को चेयरमैन बनाया गया है. कमेटी के अन्य सदस्यों में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव IAS शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल हैं. इस यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत विवाह-तलाक, जमीन-जायदाद और उत्तराधिकार जैसे विषयों पर सभी नागरिकों के लिए समान कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड:यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता बिना किसी धर्म के दायरे में बंटकर हर समाज के लिए एक समान कानूनी अधिकार और कर्तव्य को लागू किए जाने का प्रावधान है. इसके तहत राज्य में निवास करने वाले लोगों के लिए एक समान कानून का प्रावधान किया गया है. धर्म के आधार पर किसी भी समुदाय को कोई विशेष लाभ नहीं मिल सकता है.यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक कानून लागू होगा. कानून का किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं रह जाएगा. ऐसे में अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे. अभी देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ, इसाई पर्सनल लॉ और पारसी पर्सनल लॉ को धर्म से जुड़े मामलों में आधार बनाया जाता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में यह खत्म हो जाएगा. इससे शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के मामले में एक कानून हो जाएंगे.