देहरादूनःउत्तराखंड में कॉर्बेट नेशनल पार्क के अंतर्गत पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण पहले ही कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ा रहा है. धामी सरकार पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण ने हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में न जाने का निर्णय लिया है. जिसे हरक सिंह की घेराबंदीकरने के रूप में देखा जा रहा है. वहीं, अब धामी सरकार ने साइकिल वितरण मामले में एक आदेश जारी कर हरक सिंह रावत की मुश्किलों को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है.
सीएम धामी ने दिए फाइल खोलने के आदेशःदरअसल, उत्तराखंड सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अंतर्गत तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार में साइकिल वितरण के दौरान गड़बड़ी का मामला सामने आया था. इसमें तत्कालीन श्रम मंत्री हरक सिंह रावत पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे. हालांकि, इस मामले में जिलाधिकारी को इसकी जांच दी गई थी, लेकिन जिलाधिकारी इस पर अपनी जांच पूरी नहीं कर पाए. लिहाजा, यह पूरा मामला ठंडे बस्ती में चला गया, लेकिन अब हरक सिंह रावत कांग्रेस पार्टी में है और सरकार ने इस मामले में फिर से फाइल खोलने का आदेश दे दिया है.
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कमिश्नर करेंगे साइकिल वितरण की जांचःजानकारी के मुताबिक, कर्मकार कल्याण बोर्ड के अंतर्गत साइकिल वितरण प्रकरण को लेकर अब सरकार ने कमिश्नर से जांच करने का फैसला ले लिया है. इस मामले में गढ़वाल क्षेत्र में बांटी गई साइकिल की जांच गढ़वाल कमिश्नर करेंगे. जबकि, कुमाऊं क्षेत्र में वितरित की गई साइकिल की जांच कुमाऊं कमिश्नर को सौंपी है. हालांकि, ईटीवी भारत में जब कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत से बात की तो उन्होंने इस तरह का कोई लिखित आदेश आने से इनकार किया, लेकिन शासन स्तर पर सचिव श्रम आर मीनाक्षी सुंदरम ने इस जांच को कराए जाने की पुष्टि की है.
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ये भी पढ़ेंःफर्जी लाभार्थियों को साइकिल छोड़ चलना होगा पैदल, बोर्ड ने दिया एक और मौका राजनीतिल लाभ लेने के इरादे से साइकिल बांटने का आरोपःत्रिवेंद्र सरकार में जब हरक सिंह रावत श्रम मंत्री थे, तब आरोप है कि उस दौरान बड़े पैमाने पर साइकिलों की खरीदारी की गई. इन्हें विभाग की ओर से बांटे जाने के बजाय विभिन्न नेताओं ने राजनीतिक लाभ लेने के इरादे से बांटे गए. इसमें देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर समेत कुछ और जिले भी थे, जहां साइकिल बांटी गई थी. उधर, दूसरी तरफ बताया गया कि लाभार्थियों को साइकिल बांटे जाने के बजाय राजनीतिक हितों को साधने के लिए कार्यकर्ताओं को भी साइकिल दे दी गई.
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साइकलों के खराब होने के भी आरोपःखास बात तो ये है कि बड़ी संख्या में साइकिलों को डंप किए जाने का भी आरोप लगाया गया. जो कि खड़े-खड़े खराब हो गई. लिहाजा, इस पूरे प्रकरण में तब भी जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई थी, लेकिन जिलाधिकारी इस जांच को पूरा नहीं कर पाए थे. अब मामले में जांच के आदेश दिए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर सही से जांच हुई तो हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ सकती है.