देहरादून:वैश्विक महामारी कोरोना और लॉकडाउन का असर समाज के हर तबके पर पड़ रहा है. सड़क किनारे ढाबा चलाने वाले भी इसकी मार से नहीं बचे हैं. आम तौर पर यात्रियों, गाड़ी और ट्रक चालकों-परिचालकों से गुजलार रहने वाले ढाबों पर इन दिन खामोशी छाई हुई है. लॉकडाउन के बाद से ही इन ढाबा संचालकों पर ऐसी मार पड़ी कि अब इनकी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जिसके कारण राज्य के ढाबा संचालक मदद के लिए राज्य सरकार से गुहार लगा रहे हैं.
राज्य में लॉकडाउन के बाद से ही सभी छोटी-बड़ी दुकानें बंद हैं. सड़क किनारे के छोटे होटल और ढाबा संचालक इन्हीं में शामिल हैं, जो कि आज परेशानियों के दौर से गुजर रहे हैं. इन ढाबों में काम करने वाले इससे न सिर्फ अपने परिवारों का पेट भरते थे, बल्कि राज्य में आने वाले पर्यटकों को भी खाना उपलब्ध करवाते थे. मगर कोरोना के कारण लगाये गये लॉकडाउन की वजह से इनका कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है. ऐसे में अब इन ढाबा संचालकों को देनदारी की चिंता सता रही है.
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दुकान के किराए और बिजली बिल की सता रही चिंता
राजधानी देहरादून में अधिकतर ढाबा संचालक किराए की दुकानों में ढाबा चलाते हैं. ऐसे में अब बीते कुछ महीनों से लॉकडाउन लागू होने के बाद ढाबा संचालकों की बिक्री तो दूर, दुकान ही नहीं खुल पाई है. लिहाजा अब इन दुकानदारों को चिंता सता रही है कि वह दुकान का किराया, बिजली का बिल कैसे भरेंगे. लिहाजा अब उनके सामने देनदारी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है. जिसके कारण ढाबा संचालक राज्य सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनके लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाये.
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