देहरादूनःउत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि सूबे के कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. जहां पर डॉक्टर तैनात भी हैं तो वहां पर दवाइयां और अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. ऐसे में मरीजों को समय पर बेहतर इलाज नहीं पाता है. प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या सूरत-ए-हाल है, इसका खमियाजा बीते दिनों गंगोलीहाट विधायक की गर्भवती देवरानी को भी भुगतना पड़ गया. जहां पर बेरीनाग अस्पताल में डॉक्टर न होने से अल्मोड़ा रेफर किया गया. जिसमें गभर्वती का 108 में ही प्रसव कराया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले नवजात बच्ची की मौत हो गई. वहीं, अब स्वास्थ्य निदेशालय ने जांच के आदेश दिए हैं.
उत्तराखंड राज्य को बने 18 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है. जिसमें एक स्वास्थ्य सेवा भी शामिल है. सरकार पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सिस्टम और सरकार के सारे दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. राज्य में दोनों ही सरकारों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. मामला तब ज्यादा पेचीदा और हाईलाइट होता है, जब बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की भेंट किसी माननीय के रिश्तेदार चढ़ जाते हैं.
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