देहरादून: चारधाम यात्रा 2023 को लेकर तैयारियां जोर शोर से की जा रही है. इस बार श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से बेहतर सुविधाएं देने के भी प्रयास किए जा रहे हैं. दरअसल पिछले साल चारधाम यात्रा के दौरान कई यात्रियों की हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई थी. लिहाजा इस बार यात्रियों की मेडिकल हिस्ट्री से लेकर स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को जुटाने की कोशिश की जा रही है, जिससे श्रद्धालु को यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत ना हो.
चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर अधिकारियों को समय-समय पर निर्देशित किया जाता है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद तमाम तैयारियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. वही, शासन स्तर पर भी तैयारियों का लेखा-जोखा तैयार किया जा रहा है. खास बात यह है कि इस बार शासन यात्रा में केवल सड़कों, रहने की व्यवस्था और श्रद्धालुओं के खाने-पीने की व्यवस्था तक ही सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि इस बार स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को और बेहतर करने के लिए शासन तैयारी कर रहा है.
गौर हो कि पिछले साल स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण हुई यात्रियों की मौत के आंकड़ों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए जरूरी तैयारियां की जा रही है. इसके लिए मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने अधिकारियों के साथ बैठक की. जिसमें उन्होंने साफ किया कि चारधाम यात्रा में रजिस्ट्रेशन के दौरान श्रद्धालुओं की मेडिकल हिस्ट्री भी ली जाए. यही नहीं जिन श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य स्थिति खराब दिखाई दे रही हो, उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेकर उन्हें स्वास्थ्य के लिहाज से सभी जानकारियां दी जाए. यात्रा के दौरान 55 साल से अधिक उम्र के श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से की जाए.
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मुख्य सचिव ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं देने के लिए मेडिकल रिलीफ कैंप की संख्या भी बढ़ाई जाए. साथ ही फर्स्ट रिस्पांडर की संख्या को भी बढ़ाया जाए. इसके लिए होटल और धर्मशाला संचालकों को भी फर्स्ट रिस्पांडर्स की व्यवस्था किए जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. एक तरफ जहां इससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी, वहीं दूसरी तरफ पैरामेडिकल के बेरोजगार युवाओं को भी इससे रोजगार मिलेगा.
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को ऐसे बेरोजगार युवाओं को शॉर्ट टर्म प्रशिक्षण दिए जाने के भी निर्देश दिए. यात्रा के दौरान डॉक्टर्स की यूनिफार्म निर्धारित करने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी एक विशेष रंग निर्धारित करने के निर्देश दिए गए. ताकि श्रद्धालु स्वास्थ्य सुविधाओं एवं हेल्थ वर्कर्स को पहचान सके.