देहरादून:कोरोना काल में लंबे समय बाद आखिरकार उत्तराखंड चारधाम की यात्रा 18 सितंबर से शुरू कर दी गई हैं. चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटने के बाद श्रद्धालु चारधाम के दर्शन करने के लिए पहुंचने लगे हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट की आदेशानुसार व्यवस्थाएं मुकम्मल की गई हैं. ताकि चार धाम की यात्रा सुरक्षित और सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया जा सके.
बता दे कि हाईकोर्ट ने 26 जून को कोरोना महामारी की वजह से चारधाम की यात्रा पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी. लेकिन वहां अधिक समय लगने की वजह से राज्य सरकार ने दायर एसएलपी को वापस ले ली और हाईकोर्ट में 10 सितंबर को प्रार्थना पत्र देकर चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी. मामले में 16 सितंबर को नैनीताल हाईकोर्ट ने सशर्त चारधाम यात्रा संचालित करने की अनुमति दे दी.
यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह:पहले दिन शाम 4 बजे तक चारों धामों की यात्रा पर आने के लिए 19,491 श्रद्धालुओं ने ई-पास बनवाया है. बदरीनाथ धाम के लिए 4830, केदारनाथ धाम के लिए 10010, गंगोत्री धाम के लिए 2375 और यमुनोत्री धाम के लिए 2276 श्रद्धालुओं को ई-पास जारी किया गया है. वहीं, शाम 4 बजे तक बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में 419 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिसमें बदरीनाथ धाम में 335 और केदारनाथ धाम में 84 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. वहीं, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में शाम 4 बजे तक सिर्फ स्थानीय लोगों ने ही दर्शन किए.
सीमित संख्या में दर्शन कर पाएंगे श्रद्धालु: हाईकोर्ट ने चारधाम से जुड़े व्यवसायियों की समस्याओं को देखते हुए सशर्त यात्रा को खोलने की अनुमति दी है. शनिवार से श्रद्धालुओं का चारधाम आने का सिलसिला शुरू हो गया है. चारधाम यात्रा को लेकर राज्य सरकार ने एसओपी जारी की है, जिसके तहत पिछले साल की तरह ही चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए देवस्थानम बोर्ड ने एक सीमित संख्या तय की है. जिसके तहत रोजाना, बदरीनाथ धाम में 1000, केदारनाथ धाम में 800, यमुनोत्री में 600 और गंगोत्री धाम में 400 श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे. वहीं, हेमकुंड साहिब में रोजाना एक हजार श्रद्धालुओं की दर्शन करने की संख्या तय की गई है.
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मॉनसून में पर्वतीय क्षेत्रों में समस्याएं:मॉनसून सीजन में पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते आपदा जैसे हालात हो जाते हैं. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने तमाम तैयारियां कर ली है. इस मौसम में चारधाम मार्गों के बाधित होने से लंबा जाम लग जाता है. जिससे स्थानीय प्रशासन के लिए परेशानियां भी बढ़ जाती हैं. परेशानियों को देखते हुए सरकार ने चारधाम यात्रा मार्गों पर संभावित लैंडस्लाइड वाले क्षेत्रों में टीमें तैनात की है. ताकि मार्ग बंद होने पर तुरंत खोला जा सके.
हाईकोर्ट ने लगाई थी यात्रा पर रोक: उत्तराखंड सरकार ने 1 जुलाई से शर्तों और सीमित संख्या के साथ चारधाम यात्रा संचालित करने का निर्णय लिया था. लेकिन उससे पहले ही 26 जून को नैनीताल हाईकोर्ट में यात्रा पर 7 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी. जिसके चलते 7 जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले ही 6 जुलाई को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपनी 7 जुलाई की सुनवाई पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा.