देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) से अनुमति मिल गई है. ऐसे में अब बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अब विदेशों से भी चंदा या अनुदान लिया जा सकेगा. उत्तराखंड के इन चारों धामों में लोगों की गहरी आस्था है. इसे देखते हुए ना सिर्फ देश, बल्कि विदेशों में रहने वाले लोग भी अब चंदा या अनुदान देते रहते हैं. लेकिन अभी तक उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम से अनुमति ना मिलने की वजह से दिक्कतें हो रही थी.
अब जब विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम से देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को अनुमति मिल गई है, इससे ना सिर्फ बोर्ड की सालाना आय में बढ़ोत्तरी होगी, बल्कि चारधाम में सुविधाएं विकसित करने से संबंधित कार्यों में भी तेजी आएगी. इसके साथ ही उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधीन आने के बाद चारधाम में व्यवस्थाएं सशक्त बनाने के साथ ही श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
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चारधाम में दान अथवा चंदे के रूप में आने वाली राशि ही बोर्ड की आय का मुख्य जरिया है. इससे कार्मिकों की तनख्वाह के साथ ही विभिन्न कार्य कराए जाते हैं. सामान्य दिनों में अकेले बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में दान से सालाना 24 से 28 करोड़ की आय होती है, लेकिन पिछले साल वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण चारधाम यात्रा बुरी तरह से प्रभावित हुई. धामों की आय भी घट गई और आय मात्र 8 करोड़ रुपये तक ही सिमट गई.
ऐसे में बोर्ड अब पिछली बदली परिस्थितियों को देखते हुए चंदा और अनुदान जुटाने पर फोकस कर रहा है. क्योंकि बोर्ड के पास करीब 28 करोड़ की धनराशि है, जिससे सितंबर महीने तक वेतन का भुगतान किया जा सकता है. जिस तरह से कोरोना के बादल इस यात्रा सीजन पर भी मंडरा रहे हैं ऐसे में इस बार भी चारधाम की आय घटना लाजमी है. इसे देखते हुए प्रबंधन बोर्ड आय को बढ़ाने की कवायद पर फोकस कर रहा है.
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि अब विदेशों से भी चारधाम के लिए चंदा अथवा अनुदान लिया जा सकता है. बोर्ड को फेमा से इसकी इजाजत मिल चुकी है. उन्होंने कहा कि तय नियमों के तहत विदेश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति, संस्था, कंपनी चारधाम के लिए दान दे सकता है. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि भारतीय दानदाताओं द्वारा बोर्ड को दानराशि दिए जाने पर इसमें आयकर अधिनियम की धारा 80-जी के तहत आयकर में छूट के प्रविधान को भी मंजूरी मिल चुकी है.