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उत्तराखंड में परवान नहीं चढ़ा विंटर टूरिज्म, सिर्फ मंत्री के बयानों में हो रही शीतकालीन यात्रा!

Winter tourism has not started in Uttarakhand हरीश रावत जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शीतकालीन धार्मिक पर्यटन की योजना बनाई थी. बड़े-बड़े दावे किए थे. बाद में जब बीजेपी की सरकार आई तो उसके पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी विंटर टूरिज्म और धार्मिक सर्किट के बारे में बढ़ चढ़कर बोलते रहे. लेकिन बातें अभी तक हवा हवाई ही साबित हुई हैं. न तो विंटर टूरिज्म परवान चढ़ा और ना ही धार्मिक सर्किट बन पाया है.

Winter tourism
विंटर टूरिज्म समाचार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 14, 2023, 11:32 AM IST

Updated : Dec 14, 2023, 1:11 PM IST

उत्तराखंड में परवान नहीं चढ़ा विंटर टूरिज्म

देहरादून: उत्तराखंड में पिछले कई सालों से विंटर टूरिज्म को लेकर के कई बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर शीतकालीन पर्यटन को लेकर सरकार की कुछ खास तैयारी या फिर प्रयास नहीं देखे जा रहे हैं. ये स्थित तब है जब इस साल पर्यटन सीजन में 50 लाख से ज्यादा पर्यटक उत्तराखंड आए हैं.

उत्तराखंड पर्यटन पर एक नजर

पर्यटन की अपार संभावना रखता है देवभूमि उत्तराखंड: पर्यटन राज्य उत्तराखंड में हर साल पर्यटकों की आने वाली संख्या एक नया रिकॉर्ड बनती है. वैश्विक महामारी कोविड-19 से हालात पटरी पर आने के बाद एक बार फिर उत्तराखंड में पर्यटकों की आमद ने उछाल मारा है. वहीं राज्य में होने वाला धार्मिक पर्यटन हर बार की तरह अपना एक अलग रिकॉर्ड कायम कर रहा है. कॉविड-19 महामारी के बाद साल 2021 में जब पूरी दुनिया में सारी व्यवस्थाएं लड़खड़ाई हुई थी और पर्यटन बिल्कुल शून्य हो चुका था, तब भी उत्तराखंड में 5 लाख 18 हजार यात्री पर्यटन सीजन में आए थे.

इस साल पर्यटकों का आंकड़ा पहुंचा 50 लाख पार: इसके बाद जैसे-जैसे पूरी दुनिया में हालात सामान्य हुए तो वहीं उत्तराखंड में भी पर्यटन एक बार फिर से पटरी पर लौट आया. वर्ष 2022 में पर्यटन सीजन में उत्तराखंड आने वाले यात्रियों की संख्या 46 लाख 27 हजार के पास पहुंच गई. वहीं इस साल 2023 में उत्तराखंड के अब तक के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. इस पर्यटन सीजन में उत्तराखंड में 50 लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंच चुके हैं.

राज्य में 6 महीने का सीजन, 6 महीने बेरोजगारी का सामना: उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों में एक बड़ा हिस्सा धार्मिक पर्यटन का है. इसका सबसे बड़ा असर तब देखने को मिलता है जब उत्तराखंड में चारों धामों के कपाट बंद होते हैं. कपाट बंद होने के बाद चारधाम यात्रा समाप्त हो जाती है. उत्तराखंड में चारों धामों के कपाट को एक तरह से ऑक्सीजन की तरह माना जाता है. जब कपाट खुलते हैं तो सीजन की शुरुआत मानी जाती है. जब कपाट बंद होते हैं तो इसका असर उत्तराखंड के लोगों और यहां के कारोबार पर कुछ ऐसा पड़ता है कि 6 महीने लोगों को बेरोजगारी तक का सामना करना पड़ता है. वहीं इसका विपरीत असर पर्यटन सीजन में देखने को मिलता है. जहां पर लोग पर्यटन सीजन के मिले 6 महीनों को एक मौके की तरह देखकर आपाधापी में पैसा कमाने की जरूरत में लगते हैं.

विंटर टूरिज्म के नाम पर मंत्री के खोखले दावे: उत्तराखंड में पर्यटन के इस असंतुलित चक्र को देखते हुए सरकार की परिकल्पना थी कि प्रदेश में पर्यटन को संतुलित किया जाए और केवल 6 महीने के पर्यटन सीजन पर ना निर्भर रहकर उत्तराखंड में विंटर टूरिज्म को बढ़ाया जाए, ताकि जिस तरह से गर्मियों के सीजन में या फिर कपाट खुलने के बाद उत्तराखंड में पर्यटकों का तांता लगा रहता है, वैसा ही नजारा सर्दियों में भी रहे. पर्यटक सर्दियों में भी उत्तराखंड का रुख करें. उत्तराखंड के लोगों को जो ऑफ सीजन माना जाता है उसमें भी रोजगार मिले. उत्तराखंड में पर्यटन को संतुलित किया जा सके.

हवाई साबित हुआ विंटर टूरिज्म और धार्मिक सर्किट:इसे लेकर पर्यटन विभाग द्वारा तमाम तरह के दावे किए गए. खुद सतपाल महाराज ने कई तरह के धार्मिक सर्किट और विंटर टूरिज्म को लेकर बातें कहीं. लेकिन धरातल पर इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला. आज भी पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज यह कहते नजर आते हैं कि कपाट बंद होने के बाद उन मंदिरों में पर्यटक रुक कर रहे हैं जो कि सर्दियों के समय खुले रहते हैं. लेकिन सरकार की कोई तैयारी या फिर सर्दियों में होने वाले पर्यटक को लेकर के किसी तरह की कोई व्यवस्था या फिर कोई आंकड़ा देखने को नहीं मिलता है क्योंकि सर्दियों में उत्तराखंड में पर्यटन ना के बराबर होता है.

शीतकाल में इन मंदिरों का रुख करते हैं श्रद्धालु:वहीं इस पूरे मामले पर बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि धामों में कपाट बंद होने के बाद तेजी से पर्यटकों की संख्या उत्तराखंड में गिरती है जो कि दिखाता है कि उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन से जुड़ा हुआ एक राज्य है. उन्होंने बताया कि ऑफ सीजन में पर्यटक स्नोफॉल होने पर उत्तराखंड के कुछ हिल स्टेशनों का रुख करते हैं. हालांकि अगर मंदिरों की बात की जाए तो बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के गद्दी स्थल जहां पर सर्दियों में डोली रखी जाती है दिन में ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के अलावा त्रिजुगी नारायण पांडुकेश्वर मंदिर इत्यादि में कुछ श्रद्धालु जरूर माथा टेकने आते हैं लेकिन इनकी संख्या बेहद कम रहती है. उन्होंने बताया कि मंदिर समिति और भारत सरकार द्वारा लगातार उत्तराखंड के मठ मंदिरों को भव्य और दिव्य माहौल प्रदान करने की लिए सौंदर्यीकरण और पुनर्निर्माण किया जा रहा है. इसके बाद निश्चित तौर से उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी.
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Last Updated : Dec 14, 2023, 1:11 PM IST

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