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HC की रोक के बावजूद ऋषिकेश में जारी है बहुमंजिला भवनों का निर्माण, MDDA पर मिलीभगत का आरोप !

हाईकोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद ऋषिकेश की पशुलोक विस्थापित कॉलोनी में बहुमंजिला भवन निर्माण कार्य चल रहा है. याचिकाकर्ता ने MDDA (Mussoorie Dehradun Development Authority) पर निर्माणकर्ताओं के साथ साठगांठ करने का आरोप लगाया है.

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ऋषिकेश

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Published : Dec 20, 2021, 4:09 PM IST

Updated : Dec 20, 2021, 4:29 PM IST

ऋषिकेश: देहरादून के ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र स्थित पशुलोक विस्थापित कॉलोनी में कोर्ट ने बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर रोक लगाई है. लेकिन उसके बाद भी लगातार बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हो रहा है. वर्तमान में दर्जनों बहुमंजिला इमारतों का निर्माण चल रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जिम्मेदार महकमा कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की जगह अपनी दलीलें पेश कर कार्रवाई करने से बच रहा है.

दरअसल, बहुमंजिला इमारतों के निर्माणों के खिलाफ पिछले साल उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता प्रभु दयाल ने एक जनहित याचिका दाखिल की. जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए अग्रिम आदेश तक किसी भी प्रकार की बहुमंजिला इमारत के निर्माण पर रोक लगाई. साथ ही कोर्ट ने एमडीडीए के अधिकारियों और पुलिस को भी निर्माण कार्यों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए.

ऋषिकेश में जारी है बहुमंजिला भवनों का निर्माण !

लेकिन याचिकाकर्ता प्रभु दयाल का कहना है कि उत्तराखंड होईकोर्ट के निर्देश के बावजूद विस्थापित कॉलोनी में अवैध रूप से दर्जनों बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है. इस दौरान एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) का कोई डर दिखाई नहीं दे रहा है. याचिकाकर्ता ने एमडीडीए के अधिकारियों पर ही निर्माणकर्ताओं के साथ साठगांठ करने का आरोप लगाया है.

याचिकाकर्ता प्रभु दयाल शर्मा का कहना है कि याचिका दायर करने के दौरान दलील दी गई थी कि पशुलोक विस्थापित कॉलोनी में कृषि भूमि को औने पौने दामों में भू-माफियाओं ने खरीद लिया है. छोटे-छोटे प्लॉट पर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण किया जा रहा है. न तो एमडीडीए से इसके लिए नक्शा पास कराया जा रहा है. न ही अग्निशमन विभाग से किसी प्रकार की एनओसी निर्माणकर्ताओं ने ली है. इसके साथ ही इन बहुमंजिला इमारतों को भूकंप की क्षमता संभालने के लायक भी नहीं बनाया जा रहा है.

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वहीं, पशुलोक विस्थापित कॉलोनी के निवासियों का कहना है कि शिकायत के बावजूद अवैध निर्माण कार्य बदस्तूर जारी है. बड़ी-बड़ी इमारतें बनने की वजह से उनके घरों तक धूप व रोशनी नहीं पहुंच रही है. इसके साथ ही निर्माणकर्ताओं ने सड़क पर ही छज्जे निकाल दिए हैं, जिनके गिरने का खतरा बना रहता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य को रुकवाना तो दूर एमडीडीए कोर्ट के आदेशों का पालन तक करवाने से कतरा रहा है.

इस मामले पर जब एमडीडीए के सचिव मोहन सिंह बर्निया से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मालिकाना हक निर्माणकर्ताओं के पास नहीं है. ऐसे में जब भी अधिकारी कार्रवाई करने पहुंचते हैं, तो कार्रवाई का विरोध किया जाता है. जिसके चलते अधिकारियों को बैरंग लौटना पड़ता है. फिलहाल बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है, जिससे कि अवैध निर्माण पर एमडीडीए कार्रवाई कर सके. उन्होंने दावा किया कि जल्दी ही अवैध इमारतों के खिलाफ कार्रवाई करता हुआ एमडीडीए दिखाई देगा.

Last Updated : Dec 20, 2021, 4:29 PM IST

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