देहरादूनःमानसून सीजन आते ही डेंगू लोगों को डराने लगा है. इसी कड़ी में रायपुर थाने में तैनात एक सिपाही में डेंगू के लक्षण मिलने से हड़कंप मच गया, लेकिन देहरादून जिले के सीएमओ ने मामले पर कहा कि शहर में अभी तक किसी व्यक्ति में डेंगू की पुष्टि नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि एलाइजा टेस्ट के बाद ही किसी मरीज में डेंगू पॉजिटिव माना जा सकता है.
मानसून शुरू होते ही दिखने लगा डेंगू का प्रकोप. जानकारी के मुताबिक रायपुर थाने में तैनात एक सिपाही में डेंगू के लक्षण मिले हैं. डेंगू के लक्षण की जानकारी मिलते ही लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया है. उधर, देहरादून जिले के सीएमओ डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि अभी तक देहरादून में किसी व्यक्ति में डेंगू की पुष्टि नहीं हुई है. साथ ही कहा कि हो सकता है कि पुलिसकर्मी ने अपनी जांच निजी पैथोलॉजी सेंटर में कराई हो. जब तक दोनों अस्पताल से एलाइजा टेस्ट की पुष्टि नहीं हो जाती है. उसके बाद ही किसी मरीज में डेंगू पॉजिटिव नहीं माना जा सकता है.
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उन्होंने कहा कि डेंगू को लेकर सभी निजी अस्पतालों को निर्देशित किया गया है कि रेपिड टेस्ट में किसी भी मरीज में डेंगू की पुष्टि होती होने पर उसे एलाइजा टेस्ट के लिए दून अस्पताल को संदर्भित किया जाए. उसके बाद ही डेंगू की पुष्ठि हो सकेगी. उन्होंने बताया कि डेंगू एक नोटिफाइड बीमारी है. ऐसे में उसे नोटिफाइड करना बेहद जरूरी होता है. किसी मरीज में डेंगू के लक्षण पाए जाने पर सभी निजी अस्पतालों को इसकी सूचना तत्काल मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को दें. इसके लिए कोरोनेशन अस्पताल, एसपीएस अस्पताल ऋषिकेश और प्रेम नगर अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
उधर, दून मेडिकल कॉलेज में डेंगू मरीज के आने की संभावना के मद्देनजर आठ बेड का मच्छरदानी युक्त आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है. दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एनएस खत्री के मुताबिक डेंगू मरीजों के इलाज के लिए एक फिजिशियन नोडल ऑफिसर के तौर पर नियुक्त किया गया है. साथ ही कहा कि किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए अस्पताल के पास पर्याप्त मात्रा में दवाएं और किट उपलब्ध है. दून अस्पताल का स्टाफ पूरी तरह से डेंगू के मरीजों का इलाज करने में सक्षम है.