डोईवाला:देश की आजादी के लिए उत्तराखंड के कई वीर सपूतों ने अपनी शहादत दी है. उन्हीं में से एक डोईवाला निवासी अमर शहीद मेजर दुर्गामल्ल भी हैं. उनके बलिदान दिवस पर उनके शहीद स्मारक पर सभी ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए. जनप्रतिनिधियों ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम उनके नाम से रखने की अपील की है.
वीर गोरखा कल्याण समिति से जुड़े विशाल थापा ने बताया कि डोईवाला की जनता के लिए गर्व की बात है. उनके क्षेत्र का एक नौजवान देश की आजादी के लिए काम आया और हंसते हंसते फांसी के फंदे को चूम गया. पूरा देश आज मेजर दुर्गामल्ल जी को उनके बलिदान दिवस पर याद कर रहा है. इस मौके पर जनप्रतिनिधियों ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट का नाम अमर शहीद मेजर दुर्गामल्ल के नाम से रखे जाने की मांग की, जिससे पूरा देश उनके बलिदान को याद कर सके.
अमर शहीद मेजर दुर्गामल्ल की पुण्यतिथि. पढे़ं- उत्तराखंड में सुलझेगा आज पंजाब कांग्रेस का झगड़ा, हरीश रावत से मिलेंगे सिद्धू समर्थक
कौन थे मेजर दुर्गामल्ल:अमर शहीद मेजर दुर्गामल्ल का जन्म डोईवाला (घिस्सरपड़ी) में 1 जुलाई, 1913 को गंगाराम मल्ल गोरखा परिवार में हुआ था. बचपन से ही उनके अंदर देशभक्ति का जुनून था. उस समय देश में आजादी की क्रांति की ज्वाला भड़क रही थी. अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे के साथ जगह-जगह जन आंदोलन हो रहे थे. तब दुर्गामल्ल साल 1942 में सिंगापुर में भारतीय फौज के गोरखा राइफल में हवलदार थे.
इसके बाद मेजर दुर्गामल्ल देश को आजादी दिलाने के उद्देश्य से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिद फौज में भर्ती हो गए. आजाद हिद फौज में उन्हें गुप्तचर का प्रमुख कार्य सौंपा गया था. इस बीच भारत वर्मा सीमा पार कर ब्रिटिश फौज ने 27 मार्च 1944 को उन्हें बंदी बना लिया. उसके बाद उन्हें मृत्युदंड की सजा दी गई. 25 अगस्त 1944 को जिला जेल दिल्ली में मेजर दुर्गामल्ल को फांसी की सजा दे दी गई. उनकी याद में डोईवाला नगर पालिका में स्मारक भी बनाया गया है.