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राजनीति के चलते दब गईं कई प्रतिभाएं - Many talents were suppressed due to politics

चंबल संभाग से कई खेलों में नेशनल स्तर तक खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं. इस संख्या में और भी इजाफा हो सकता है अगर संभाग का मुख्यालय मुरैना शहर में किया जाए जो कि शिवपुरी में है.

खिलाड़ी

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Published : Nov 21, 2019, 8:39 AM IST

मुरैनाः मध्य प्रदेश की खेल प्रतिभाओं को बाहर लाने के लिए वैसे तो सरकार कई बाते कर रही है लेकिन क्या वाकई खेल मंत्रालय सच में कोई प्रयास कर रहा है और अगर ऐसे प्रयास हो रहे है तो मुरैना जिले तक क्यों नही पहुंच रहे? चंबल संभाग का मुख्यालय मुरैना है, पर उसके बाद भी खेल का संभाग कार्यालय शिवपुरी जिले को बनाया गया है जो कि मुरैना से लगभग 200 किलोमीटर दूर है जिसका खामियाजा जिले के खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है. पर उसके बाद भी न तो सरकार इस पर ध्यान दे रही है और न ही अधिकारी.

राजनीति के चलते दब गईं कई प्रतिभाएं

चंबल संभाग से कई खेलों में नेशनल स्तर तक खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं. जानकारों की मानें तो इस संख्या में और भी इजाफा हो सकता है अगर संभाग का मुख्यालय मुरैना शहर में किया जाए. यहां खिलाड़ी इस बात से भी परेशान है कि कई बार इस मामले की शिकायत खेल प्रबंधन से की है पर न तो वहां के अधिकारियों ने इस पर कई ध्यान दिया और न ही नेताओं ने इसकी सुध ली.

मुरैना के खिलाड़ियों के कहना है कि खेल संभाग कार्यालय दूर होने की वजह से कई दिक्कते आती है विशेषकर लड़कियों का इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है मुरैना से शिवपुरी तक जाने में समय बर्वाद होता है और इससे कई लड़कियां वहां जा भी नही पाती है.

वही संभागीय मुख्यालय शिवपुरी में होने की बात विरोध बीजेपी और कांग्रेस के नेता भी कर रहे है. इस पूरे मामले में कांग्रेस के विधायक रघुराज कंषाना ने बीजेपी के शासन काल को दोषी ठहरा दिया. बात काफी हद तक सही भी है मुख्यालय का शिवपुरी जाने का फैसला पूरी तरह से बीजेपी के समय में लिया गया. विधायक की मानें तो वह खेल मंत्री जीतू पटवारी से बात करके इसे मुरैना में करने का प्रयास किया जाएगा.

खेलों का संभागीय मुख्यालय दूसरे संभाग के जिले में होना ही गलत है पर अपने हितों को साधने के लिए नेता कुछ भी कर सकते हैं यशोधरा राजे सिंधिया के विधानसभा क्षेत्र शिवपुरी होने का लाभ वहां के लोगों को तो मिला. पर उसकी कीमत मुरैना को चुकानी पड़ी. अब देखना यही है कि कांग्रेसी कब तक चंबल संभाग को उसके खेल मुख्यालय को दिला पाता है.

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