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बैकडोर भर्ती मामले में नपेंगे प्रेमचंद अग्रवाल! हाईकोर्ट के फैसले ने बढ़ाई सियासी हलचल

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश (High court decision in backdoor recruitment case) को सही माना है. होईकोर्ट के इस फैसले के बाद सियासी गलियारों में प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ने लगी है. जहां कांग्रेस बैकडोर भर्ती मामले में बीजेपी को नैतिकता का पाठ पढ़ा रही है, वहीं बीजेपी का भी मानना है कि अगर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष (Premchand Agarwal in backdoor recruitment case) की संलिप्तता मामले में रही है तो उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

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बैकडोर भर्ती मामले में नपेंगे प्रेमचंद अग्रवाल!

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Published : Nov 25, 2022, 6:12 PM IST

Updated : Nov 25, 2022, 6:18 PM IST

देहरादून: विधानसभा सचिवालय में हुई बैक डोर भर्ती मामले (backdoor recruitment case in uttarakhand) में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब उत्तराखंड राज्य में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल (Premchand Agarwal in backdoor recruitment case) को हटाए जाने का मामला एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है. मामले में कांग्रेस भाजपा को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए कार्यवाही करने की बात कह रही है. वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता खुद ही इस बात को कह रहे हैं कि अगर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष की संलिप्तता मामले में रही है तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.

विधानसभा में हुई बैकडोर भर्ती मामले (backdoor recruitment case in uttarakhand) में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए साल 2012 से 2022 के बीच हुए सभी बैक डोर भर्तियों को निरस्त कर दिया था. जिसके बाद ये मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचा. पहले नैनीताल हाईकोर्ट की एकल बैंच ने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगा दी था. जिसके बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को पलटते हुए विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को सही ठहराया.

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कोर्ट के फैसले के बाद अब धामी सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जो तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष थे वो फिर से चर्चाओं में हैं. प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा में भर्ती प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए बैकडोर में भर्ती कर अपने व अपनी पार्टी के नेताओं के रिश्तेदारों को एक प्रार्थना पत्र के आधार पर नौकरियां देने का काम किया. ऐसे में कार्यवाही सिर्फ नौकरी पाने वालों पर हुई, जबकि नियोक्ता अभी भी सरकार में मंत्री बने हुए हैं. अब सबाल उठ रहा है कि क्या प्रेमचन्द्र अग्रवाल को नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा नहीं देना चाहिए?

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राजनीतिक गलियारों में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे को लेकर चर्चाएं जोरों शोरों पर उठने लगी हैं. नैतिकता की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी को अपने मंत्री पर कार्यवाही करते हुए उसे मंत्री पद से नही हटाना चाहिए या नहीं, यह सवाल अभी भी बरकरार है. इस मुद्दे पर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सुनीता विद्यार्थी ने कहा कि हमारी पार्टी नैतिकता के मूल्यों को मानने वाली पार्टी है. अगर किसी कार्यप्रणाली को प्रभावित करने में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष की संलिप्तता रही है तो निश्चित तौर पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए.

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वहीं, कांग्रेस प्रदेश महासचिव मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि नौकरी पाने वाले से बड़ा दोषी नौकरी देना वाला है, जिसने बैकडोर से नौकरियां दी हैं. विधानसभा में बैकडोर मामले में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का नाम भी सामने आया, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी. यही नहीं, जनता ने गोविंद सिंह कुंजवाल को चुनाव में सबक भी सिखाया.

Last Updated : Nov 25, 2022, 6:18 PM IST

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