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सिडकुल घोटाला: देहरादून और उधम सिंह नगर की 90 फाइलों की जांच में देरी, DIG ने किया तलब

देहरादून और उधम सिंह नगर में एसआईटी की जांच में लेटलतीफी हो रही है. दोनों जनपदों की 90 फाइलों का निस्तारण तय समय पर नहीं हो पाया है, जिसके बाद DIG गढ़वाल ने 48 घंटे के भीतर दोनों एसआईटी को तलब किया है.

SIDCUL scam investigation
SIDCUL scam investigation

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Published : Jul 5, 2021, 8:02 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित सिडकुल घोटाले मामले में देहरादून और उधमसिंह नगर से जुड़ी 90 फाइलों का निस्तारण तय समय से नहीं होने पर एसआईटी पर सवाल खड़े हो रहे हैं. 90 फाइलों की विवेचना के लिए एसआईटी हेड गढ़वाल रेंज डीआईजी ने 30 जून, 2021 तक का समय दिया था.

फिलहाल, दोनों जनपदों की एसआईटी के रवैये को देखते 90 फाइलों की विवेचना पूरी होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए गढ़वाल डीआईजी नीरू गर्ग ने दोनों टीमों को अगले 48 घंटे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तलब किया है. इससे पहले दोनों एसआईटी को कारण बताओ नोटिस भी जारी हो चुका है.

देहरादून और उधम सिंह नगर की 90 फाइलों की जांच में देरी.

सिडकुल घोटाले से जुड़ी 214 फाइलों की विवेचना मुकम्मल

डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग के मुताबिक उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों से संबंधित विवेचना से जुड़ी कुल 304 फाइलों में से 214 फाइलों के विवेचना मुकम्मल हो चुकी है. उससे जुड़ी रिपोर्ट उनको पहले ही मिल चुकी है. उन्होंने बताया कि देहरादून की 30 और उधम सिंह नगर जनपद की 60 फाइलें लंबित हैं.

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क्या है सिडकुल घोटाला?

साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल द्वारा उत्तराखंड के अलग-अलग जनपदों में निर्माण कार्य कराए गए थे, जिसमें मानकों के विपरीत उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को ठेके दिए गए थे. इसी निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर घोर अनियमितताएं सामने आई थी. सरकारी धन के दुरुपयोग करने से लेकर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया था.

इतना ही नहीं, सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले भी कई तरह की अनियमितताएं पाईं गईं. जिसको लेकर साल 2017 तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेश पर गढ़वाल रेंज आईजी/डीआईजी नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी.

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