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Fake Mark Sheet: 10वीं और 12वीं फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, मास्टरमाइंड की तलाश में पुलिस

उत्तराखंड के देहरादून में पुलिस ने एक बड़े खेल का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो 10वीं और 12वीं फर्जी मार्कशीट तैयार करते थे. हालांकि इस गिरोह का मास्टमाइंडर अभी भी फरार है, जिसकी पुलिस को तलाश है. मास्टमाइंडर का एक डिग्री कॉलेज भी है. आरोपियों की फर्जी मार्कशीट की बदौलत कई लोग सरकारी नौकरी में कर रहे हैं.

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Published : Feb 1, 2023, 5:46 PM IST

Updated : Feb 1, 2023, 7:30 PM IST

फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़

देहरादून: 10वीं और 12वीं के साथ अन्य शैक्षणिक संस्थानों की फर्जी मार्कशीट तैयार करने वाले गिरोह का देहरादून पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. पुलिस टीम ने एमडीडीए कॉम्प्लेक्स में स्थित दुकान पर छापा मारकर माराकर आरोपी राजकिशोर किया है, जिसके कब्जे से फर्जी मार्कशीट दस्तावेज बरामद है. हालांकि गिरोह का खिलाड़ी यानी मास्टमाइंड सहेंद्र पाल और एक अन्य आरोपी इंदु अभी फरार चल रहा है, जिनकी पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है.

पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी अभीतक कभी शैक्षणिक संस्थानों के फर्जी दस्तावेज, मार्कशीट और प्रमाण पत्र बना चुके हैं. इनके पास ऐसे अभ्यर्थी आते थे, जो परीक्षा में पास नहीं हो पाते थे, उन्हें आरोपी बैक डेट में नकली मार्कशीट बनाकर देते थे. एक नकली दस्तावेज के लिए आरोपी अभ्यर्थी से छह से आठ हजार रुपए के बीच वसूलते थे.
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पुलिस पूछताछ ने चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है. आरोपी ने पुलिस को बताया कि वो अभीतक बिहार और अरुणाचल में करीब 150 से 200 फर्जी मार्कशीट बेच चुके हैं, उनकी दी हुई फर्जी मार्कशीट पर कई लोग सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं. आरोपी नेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च इन एजुकेशन के नाम से 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की परीक्षा कराने और उसके बाद मार्कशीट प्रमाण पत्र उपलब्ध किया करते थे.

देहरादून एसएसपी दिलीप सिंह कुंवर ने बताया कि पुलिस को काफी दिनों से इस गिरोह के बारे में सूचना मिल रही थी. सूचना के आधार पर ही नगर कोतवाली पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम ने एमडीडीए कॉम्प्लेक्स में आश्रय फाउंडेशन के आफिस में छापा मारा तो वहां से राज किशोर राय नाम का व्यक्ति मिला है. मौके पर ऑफिस में टेबल पर एक लैपटॉप, 01 डेस्कटॉप और प्रिंटर समेत कई सामान बरामद हुए.
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पुलिस के मुताबिक लैपटॉप के पास कुछ राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के सीनियर सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन और सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन के प्रमाण पत्र रखे मिल. प्रमाण पत्रों के संबंध में सख्ती से पूछताछ करने पर व्यक्ति ने बताया कि वह अपने साथी सहेंद्र पाल के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों का रजिस्ट्रेशन कर उनको सीनियर सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन और सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन की अंक तालिका प्रमाण पत्र और अन्य फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र बनाकर देता है, जिसके एवज में वो छात्रों से रुपए लेता है, फर्जी सर्टिफिकेट से प्राप्त रुपयों को वह और सहेंद्र पाल आपस में बांट लेते हैं.

एसएसपी दिलीप सिंह कुंवर ने बताया की आरोपी राज किशोर राय ने अन्य आरोपी इन्दु और सहेंद्र पाल के साथ मिलकर एक नेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च इन एजुकेशन के नाम से एक ट्रस्ट बनाया और उसे पंजीकृत कराया. साथ ही ट्रस्ट के नाम से एक वेबसाइट बनाई गई, जिसमें 10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों की परीक्षा करवाने और उसके बाद मार्कशीट प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाने के संबंध में अलग-अलग माध्यम से प्रचार-प्रसार किया गया. इसमें राजकिशोर राय का मोबाइल नंबर अंकित किया गया, जिस पर अलग-अलग राज्यों से युवकों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था.
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आरोपियों ने कुछ विद्यार्थियों को लिंक भेज कर फर्जी परीक्षाएं भी कराई जाती थी और उन्हें फर्जी संस्थान की मार्कशीट एवं प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाते थे और कुछ अभ्यर्थियों को बिना परीक्षा के भी बैकडेट की भी मार्कशीट, प्रमाण पत्र, माइग्रेशन प्रमाण पत्र व अन्य शैक्षणिक प्रमाण दिए गए है. पुलिस ने बताया कि आरोपी ने अलग-अलग बैंक खाते थे, जिससे संबंधित 7 बैंक पासबुक, 5 चेकबुक अभियुक्त के पास से बरामद हुए हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद के अलावा उत्तराखंड मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान के नाम से सोसाइटी भी रजिस्टर करायी थी, इसका पता पिथूवाला खुर्द मोहब्बेवाला देहरादून अंकित किया गया. जिसमें 7 लोगों को ट्रस्टी बनाया गया था. साथ ही आरोपियों ने आश्रय फाउंडेशन के नाम से ट्रस्ट बनाया गया है, जिसके नाम का प्रयोग एमडीडीए कॉम्प्लेक्स में स्थित दुकान कार्यालय में किया जा रहा है. साथ ही बताया की फरार सहेंद्र पाल का मुज़फ्फरनगर में दक्ष के नाम से डिग्री कॉलेज है, जिसकी जांच की जाएगी.

Last Updated : Feb 1, 2023, 7:30 PM IST

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