पेटीएम स्कैनर लगाने के बहाने दुकानदारों से ठगी करने वाले आरोपी गिरफ्तार. देहरादूनःरायपुर थाना पुलिस ने पेटीएम के माध्यम से ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के तीन शातिरों को दबोचा है. गिरोह के सदस्यों ने बीते एक महीने के भीतर में अलग-अलग राज्यों में 8 से ज्यादा घटनाओं को अंजाम देकर साढ़े 6 लाख रुपए की ठगी को अंजाम दे चुके थे. पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 9 मोबाइल, 3 सिम कार्ड, 27 पेटीएम कार्ड, 60 पेटीएम स्कैनर पेज, 81 नेशन एक्सप्रेस कंपनी के कार्ड बरामद किए हैं. साथ ही आरोपियों के तीन बैंक खाते भी सीज कर दिए हैं.
बता दें कि बीती 12 अप्रैल को रायपुर के सुंदरवाला निवासी देवपाल सजवाण ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया कि कुछ अज्ञात लोगों ने उसके दुकान में आकर पेटीएम स्कैनर ठीक कराने के नाम पर उसके खाते से 1 लाख 40 हजार रुपए की ठगी कर ली. जिसके बाद आरोपी की गिरफ्तारी के लिए तीन टीमों का गठन किया गया. पुलिस की टीम ने करीब 195 सीसीटीवी फुटेज खंगाले. जिसमें घटना के दिन पीड़ित की दुकान के आस पास दो संदिग्ध व्यक्ति घूमते हुए दिखाई दिए. जब उन्हें ट्रेस किया गया तो एक व्यक्ति बस में चढ़ा तो दो लोग स्कूटी से सहारनपुर की ओर जाते दिखे.
वहीं, टीम ने सहारनपुर रोड़ पर देवबंद टोल टैक्स के कैमरों को खंगाला और स्कूटी का नंबर निकाला. स्कूटी का नंबर दिल्ली का निकला. जिसके बाद पुलिस टीम दिल्ली गई और स्कूटी के नंबर के आधार आरोपी गौरव निवासी मंडोली दिल्ली की डिटेल निकाली. इसके बाद स्कूटी के रजिस्ट्रेशन की डिटेल निकालने पर एक मोबाइल नंबर की जानकारी मिली. यह मोबाइल नंबर घटना के दिन देहरादून होने की जानकारी मिली. इसी बीच पुलिस को सूचना मिली कि तीनों आरोपी फिर से घटना को अंजाम देने आ रहे हैं. इसके बाद टीम ने आरोपी गौरव, सुशील और हिमांशुको स्टेडियम तिराहा थानो रोड़ से गिरफ्तार कर लिया.
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ऐसे लगाते थे पेटीएम से चूनाःआरोपियों ने बताया कि तीनों एक साथ नेशन एक्सप्रेस कंपनी में काम करते थे, लेकिन उनकी सैलरी काफी कम थी. जिस कारण उन्होंने ऑनलाइन, दुकानों में पेटीएम स्कैनर लगाने का काम सीखा. इसके बाद आरोपी अलग-अलग शहरों की दुकानों में जाकर नया पेटीएम स्कैनर लगाने और पेटीएम को ठीक करने के नाम पर दुकानदारों से ठगी करने लगे. इसके तहत आरोपी दुकानदारों से उनके मोबाइल फोन लेते थे, फिर सिम निकालकर अपने फोन डालकर पेटीएम रजिस्टर्ड कर लेते थे. इसके बाद दुकानदार की पेटीएम के सभी नोटिफिकेशन का अलर्ट बंद कर देते थे.
वहीं, दुकानदार की सिम दोबारा अपने फोन से निकालकर उनके मोबाइल फोन में डाल देते थे. जिससे उनके मोबाइल पर दुकानदार की सिम से रजिस्टर्ड पेटीएम 48 घंटे तक चल जाता था. जिससे वो कहीं भी ट्रांजेक्शन कर देते थे. दुकानदार को इसका पता बाद में चलता था. तीनों स्कूटी के माध्यम से दिल्ली से देहरादून आते थे और घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो जाते थे. आरोपी फ्रॉड राशि को अपने रिश्तेदार, दोस्त और दिल्ली में सतीश नाम के व्यक्ति के बताए फर्जी खातों में डालते थे. जिससे उन्हें कमीशन काट कर नगद पैसा मिल जाता था.