देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी में पहले पग के साथ सेना में लेफ्टिनेंट रैंक से शुरुआत करने वाले युवाओं ने अपनी मेहनत और परिश्रम से इस मुकाम को हासिल किया है. इसमें कई युवा ऐसे भी हैं जो पारिवारिक कठिनाईयों को कमजोरी नहीं, बल्कि हथियार बनाकर आगे बढ़े. जिसके बाद अब ये अफसर युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं. भारतीय सैन्य अकादमी में हर युवा अफसर के साथ कोई ना कोई कठिनाई या परिश्रम की कहानी जुड़ी हुई है. ईटीवी भारत आज कुछ ऐसे ही युवा अफसर से आपको रूबरू कराएगा, जिन्होंने पारिवारिक कठिनाइयों को अपनी मजबूती बनाया और आज सेना में अफसर बन गए.
सबसे पहले बात तुषार भारद्वाज की करेंगे, जो गाजियाबाद के रहने वाले हैं. तुषार के पिता किराने की दुकान चलाते हैं और बेहद परिश्रम के साथ परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. तुषार कहते हैं कि उन्होंने 2019 में अकादमी में डायरेक्ट एंट्री पाई और आज वे सेना का अंग बन रहे हैं. खुशी की बात यह है कि आज न केवल उनके पिता और परिवार का सपना पूरा हुआ, बल्कि क्षेत्र के लिए भी तुषार मिसाल बन गए हैं.
अकादमी से पास आउट होने वाले युवा अधिकारी अजय प्रताप ग्वालियर के रहने वाले हैं. अजय प्रताप के पिता किसान हैं और एक किसान के बेटे ने जिस तरह से अकादमी में प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बनने का सपना पूरा किया है, वो गौरवान्वित करने वाला है.
उत्तरकाशी के रहने वाले अमन रमोला ने भी अपनी 4 साल की मेहनत के बाद इस मुकाम को हासिल किया है. उनके पिता का निधन हो चुका है, परिवार पर जब दुख का पहाड़ टूटा, उस समय अमन 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे. अमन की माता ने ही पूरे परिवार को संभाला और अमन की अच्छी शिक्षा दी. अमन कहते हैं कि यह उनके परिवार के लिए गर्व की बात है कि आज उनका सपूत सेना में अफसर बना है. इसका क्रेडिट वो अपनी माता को देना चाहते हैं, जिन्होंने पूरी लगन से उनकी पढ़ाई पूरी करवाई और यहां तक पहुंचने में मदद की.