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बिल्डर बनकर करोड़ों का चूना लगाने वाले पति-पत्नी, बेटी-दामाद गिरफ्तार, पंजाब में कर रहे थे मौज - देहरादून क्राइम न्यूज

Dehradun Crime News देहरादून पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने लोगों और बैंकों के करोड़ों रुपए हड़पने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो पंजाब में छिप कर बैठे हुए थे. पुलिस अभी आरोपियों का आपराधिक इतिहास खंगाल रही है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 2, 2023, 5:20 PM IST

Updated : Oct 3, 2023, 11:36 AM IST

देहरादून:लोगों को घर का सपना दिखाकर उनसे करोड़ों रुपए हड़पने वाली दो महिलाओं समेत चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आरोपी बिल्डर बनकर लोगों के इसी तरह करोड़ों रुपए ठग चुके हैं. हालांकि जब इनकी पोल खुली तो वो देहरादून से फरार हो गए और लोगों की हड़पी गई रकम से पंजाब में मौज कर रहे थे लेकिन आरोपी ज्यादा दिनों तक पुलिस की नजरों से बच नहीं पाए. पुलिस चारों आरोपियों को पंजाब से गिरफ्तार कर देहरादून लेकर आई है. आरोपियों के खिलाफ देहरादून जिले के अलग-अलग थानों में कई मुकदमे दर्ज हैं.

पुलिस ने बताया कि एसए बिल्डटेक कंपनी के फाउंडर प्रेमदत्त शर्मा ने अपने सहयोगियों सुनीता शर्मा (पत्नी प्रेमदत्ता शर्मा), अरुण सेगन, आराधना शर्मा (अरुण सेगन) और गौरव आहूजा के साथ मिलकर एक प्लान बनाया था. जिसके तहत देहरादून के राजपुर थाना क्षेत्र में मसूरी रोड पर मालसी में आर्टिगो रेजीडेंसी के नाम से बहुमंजिला आवासीय परिसर में फ्लैट बेचने के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपए का निवेश करवाया गया. इस पूरे खेल की पोल तब खुली जब लोगों को न तो फ्लैट की दिया गया और न ही मकान की रजिस्ट्री की गई.
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इस मामले में अलग-अलग लोगों ने राजपुर थाने में 7 मुकदमे दर्ज कराए. वहीं, कोतवाली नगर में भारतीय स्टेट बैंक शाखा न्यू कैंट रोड अधिकृत वकील विजय भूषण पांडे ने भी इस मामले में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि आराधना शर्मा और उनके अन्य साथियों ने साल 2013 में रायपुर क्षेत्र में लवाई अपार्टमेंट के नाम पर प्रोजेक्ट शुरू किया था. आरोप है कि प्रोजेक्ट के तहत अलग-अलग लोगों को फ्लैट देने के एवज में बिल्डर का एसबीआई बैंक से एक त्रिपक्षीय अनुबंध हुआ था. इसमें चार अलग-अलग खरीदारों के नाम से बैंक लोन एप्रूव कराकर धनराशि को अपने खातों में लेने के बाद फ्लैटों के सेल लेटर किसी अन्य के नाम पर सम्पादित करते हुए बैंक की कुल एक करोड़ बीस लाख पचास हजार रुपए की धनराशि हड़प ली.

इसी तरह आरोपी ने आईसीआईसीआई बैंक के साथ भी धोखाधड़ी की. वहां भी आरोपी ने राजपुर क्षेत्र में साल 2014 में आर्टिगो अपार्टमेंट के नाम से प्रोजेक्ट शुरू करने और लोगों से प्रोजेक्ट में निवेश करने की एवज में उन्हें फ्लैट उपलब्ध कराने से सम्बन्धित एग्रीमेंट किये.
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आईसीआईसीआई बैंक के माध्यम से लोगों के नाम पर फ्लैट के एवज में लोन पास करवाते हुए धनराशि को अपने खातों में प्राप्त किया गया. निवेशकों को न तो फ्लैट उपलब्ध कराये गये और न ही रजिस्ट्री सम्बन्धित कोई भी कागजात दिये गये. साथ ही इसके अर्टिगो रेजिडेंसी की जमीन के स्वामी द्वारा भी आरोप लगाया गया कि आरोपियों द्वारा उनके साथ एक ज्वाइंट MOU बनाया गया था, जिसमें पीड़ित द्वारा अपनी जमीन अर्टिगो रेजिडेंसी प्रोजेक्ट बनाने के लिए दी गई थी.

आरोप है कि कंस्ट्रक्शन आरोपियों को करना था और दोनों प्रोजेक्ट में 50-50% के पार्टनर थे, लेकिन आरोपी द्वारा सारे फ्लैट स्वयं बेच दिए गए और पीड़ित को उसके पैसे नहीं दिए, जिसके सम्बन्ध में आरोपियों के खिलाफ राजपुर में धोखाधड़ी के 07 अलग-अलग मुकदमे पंजीकृत किए गए. जनपद देहरादून में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत होने के बाद से ये सभी विभिन्न मुकदमों में लगातार फरार चल रहे थे, जिनके खिलाफ न्यायालय द्वारा गैर जमानती वांरट भी जारी किये गये थे. पुलिस द्वारा पूर्व में कई बार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उनके सम्भावित स्थलों पर दबिशें दी गई, लेकिन पुलिस टीम को कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी.

थाना राजपुर प्रभारी जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी ने एक खास टीम का गठन किया था. टीम को आरोपियों के बारे में सूचना मिली कि वो पंजाब के रूपनगर में रह रहे हैं. उसी के आधार पर पुलिस ने संभावित ठिकाने पर छापा मारा तो वहां से प्रेम दत्त शर्मा, सुनीता शर्मा, आराधना शर्मा और अरुण सेगन को गिरफ्तार किया.

अपराध करने का तरीका:आरोपियों द्वारा स्वयं की एक कंपनी बनाकर जनपद देहरादून में अलग-अलग स्थानों पर प्रोजेक्ट शुरू किये जाते थे और लोगों को विश्वास में लेने के लिये अपने प्रोजेक्ट को अधिकृत बैंक से एप्रूव्ड बताया जाता था. लोगों से प्रोजेक्ट में निवेश करने और फ्लैट लेने के एवज में उनसे अग्रिम धनराशि प्राप्त की जाती थी. सम्बन्धित बैंक से फ्लैटों के एवज में खरीदारों और निवेशकों के नाम पर लोन अपने खातों में प्राप्त किया जाता था. इसके बाद आरोपियों द्वारा फ्लैटों का विक्रय पत्र किसी अन्य के नाम पर सम्पादित कर सम्बन्धित खरीददार और बैंक का पैसा हड़प लिया जाता था.

Last Updated : Oct 3, 2023, 11:36 AM IST

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