देहरादून: पूरे विश्व में 25 दिसंबर मैरी क्रिसमस त्योहार को लेकर तैयारियां चल रही हैं. इसके साथ ही देहरादून के ऐतिहासिक 160 साल पुराने (वर्ष 1856 निर्मित) सेंट फ्रांसिस चर्च में भी हर साल की तरह मैरी क्रिसमस (बड़ा दिन) को लेकर भव्य तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.
मान्यता के अनुसार, मानव जाति के कल्याण के लिए 2000 साल पहले यीशु का जन्म हुआ था. ऐसे में प्रत्येक 'क्रिसमस ईव' से 4 सप्ताह पहले से कुछ ऐसी तैयारियां धार्मिक भावनाओं के साथ होती है, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं. यीशु के आगमन से चार सप्ताह पहले चार अहम मुद्दों पर क्रिश्चियन अनुयाई को चिंतन मनन कराया जाता है.
ईसाई धर्म के अनुयायियों के अनुसार, सांता क्लॉज जो ईश्वर के प्रेम भाव बांटने के लिए उपहार स्वरूप बच्चों को गिफ्ट देते हैं. उस सांता क्लॉज का वास्तविक पहनावा लाल रंग का होता है, क्योंकि हरा रंग खुशहाली समृद्धि भरा जीवन देने और उसमें जान होने का एहसास दिलाता है. धर्म गुरुओं के मुताबिक, समय दर समय परिवर्तन होने के बाद सांता क्लॉज के पहनावे का रंग हरे से लाल और सफेद करने में अलग-अलग तरह की भ्रांतियां हैं. लेकिन मान्यता के अनुसार, जीवन में नया आयाम लाने के लिए सांता क्लॉज का पहनावा हरे रंग को माना जाता है.
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