देहरादून: प्रदेश की राजधानी की विभिन्न मुख्य सड़कें इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर हैं. दरअसल शहर की विभिन्न मुख्य सड़कों पर कहीं स्मार्ट सिटी योजना के तहत कार्य चल रहे हैं तो कहीं सीवर लाइन और टेलीकॉम लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है. जिसकी वजह से शहर की विभिन्न मुख्य सड़कें जगह-जगह खुदी हुई छोड़ दी गई हैं और यह सड़कें किसी बड़े हादसे को न्योता देने का काम कर रही है.
देहरादून की खस्ताहाल सड़कें दे रही हादसों को दावत. बात देहरादून का दिल कहे जाने वाले घंटाघर के आसपास की मुख्य सड़कों की करें तो क्रॉस रोड और सुभाष रोड सबसे ज्यादा बदहाल स्थिति में है. यहां से गुजरने वाले वाहन हिचकोले खाते हुए गुजरते हैं. वहीं विशेषकर दो पहिया वाहन चालकों को इन सड़कों से गुजरते हुए सड़क हादसे का शिकार होने का डर सता रहा है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय निवासियों का कहना था कि यह सड़कें इतनी बदहाल स्थिति में छोड़ दी गई हैं कि उन्हें अपने घरों से बाहर निकलने में अब डर लगने लगा है. इन खुदी हुई सड़कों में कभी भी कोई बड़ा सड़क हादसा हो सकता है. ऐसे में जिम्मेदार महकमे को जल्द से जल्द इन सड़कों की मरम्मत करनी चाहिए.
गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग की ओर से फरवरी माह की शुरुआत से ही शहर की विभिन्न सड़कों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है. लेकिन शहर में चल रहे स्मार्ट रोड के कार्य और अन्य सीवर लाइन और टेलीकॉम लाइन बिछाने के कार्यों के चलते लोक निर्माण विभाग के लिए भी सड़कों की मरम्मत करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है.
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वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड देहरादून के अधिशासी अभियंता डीसी नौटियाल बताते हैं कि प्रदेश सरकार की ओर से निर्धारित लक्ष्य के तहत मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक विभाग को हर हाल में जनपद की मुख्य सड़कों की मरम्मत का कार्य किया जाना है. लेकिन बीते दिनों 30 फरवरी तक का अल्टीमेटम देने के बावजूद सरकारी विभाग और निजी कंपनियां सड़क में चल रहे अपने कार्यों को पूरा नहीं कर सकी हैं, जिसकी वजह से विभाग को सड़कों की मरम्मत के कार्य में परेशानियां आ रही है. ऐसे में लगातार इन सरकारी विभागों और निजी कंपनियों को विभाग की ओर से अल्टीमेटम दिया जा रहा है कि वह जल्द से जल्द अपने कार्य पूर्ण करें.
बहरहाल, राजधानी देहरादून की विभिन्न मुख्य सड़कों की बदहाल स्थिति को देखकर तो यही लगता है कि 'करे कोई और भरे कोई'. विभिन्न सरकारी विभाग और निजी कंपनियां अपने कार्यों को करने के लिए सड़कों को खोद कर उन्हें बदहाल छोड़ रही हैं, जिसका खामियाजा सीधे तौर पर स्थानीय निवासियों को भुगतना पड़ रहा है.