देहरादून: प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियां जोरों पर हैं. ऐसे में ईटीवी भारत आपको विधानसभा'WAR' के जरिए प्रदेश की विधानसभा सीटों की स्थिति और समीकरण से रु-ब-रु करवा रहा है. विधानसभा'WAR' में हम आपको उत्तराखंड के सबसे ज्यादा संवेदनशील जिले देहरादून की कैंट विधानसभा के बारे में बताने जा रहे हैं. इस विधानसभा सीट पर ग्राउंड जीरो पर क्या हालात हैं, यहां के विधायक के रिपोर्ट कार्ड और मुद्दों पर क्या सोचती है, जनता आइये जानते है.
कैंट विधानसभा पर पिछले 35 सालों से हरबंश कपूर का था दबदबा: कैंट विधानसभा का इतिहास बेहद पुराना है. उत्तराखंड राज्य गठन से पहले यह विधानसभा देहरादून शहर के नाम से जानी जाती थी. इस विधानसभा पर पिछले 35 सालों से बीजेपी के हरबंश कपूर विधायक थे. हरबंश कपूर का नाम उत्तराखंड की राजनीति में बेहद अहम माना जाता रहा है. वह एकमात्र ऐसे विधायक थे, जो कि सबसे लंबे समय से विधायक पर बने हुए थे.
हरबंश कपूर की पृष्ठभूमि की अगर हम बात करें तो उन्होंने इसे विधानसभा सीट पर 9 बार चुनाव लड़ा. उसमें से केवल पहली दफा 1985 में वह चुनाव हारे थे. उसके बाद लगातार आठ बार इस विधानसभा सीट पर चुनाव जीते. उन्होंने 1989 में हीरा सिंह बिष्ट, 1991 में विनोद रमोला, 1993 में दिनेश अग्रवाल, 1996 में सुरेंद्र अग्रवाल को हराया था. इसके बाद इस विधानसभा का परिसीमन हुआ. जिसके बाद इसका नाम देहरा खास विधानसभा रखा गया. उसके बाद भी हरबंश कपूर का जलवा इस सीट पर बरकरार रहा.
2002 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हरबंश कपूर ने संजय शर्मा, 2007 में लालचंद शर्मा को हराया. इसके बाद फिर एक बार इस विधानसभा सीट का परिसीमन हुआ. तब इसे देहरादून कैंट विधानसभा बना दिया गया. जिसके बाद 2012 में हरबंस कपूर ने देवेंद्र सिंह सेठी और 2017 में कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना को हराया. अब अफसोस इस बात का है कि पिछले 35 सालों से इस सीट पर अपना दबदबा रखने वाले हरबंश कपूर का विधानसभा चुनाव से ठीक पहले निधन हो गया है. जिसके बाद अब इस सीट का सिकंदर कौन होगा ये बड़ा सवाल है.
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कैंट विधानसभा के मुद्दे?:कैंट विधानसभा में तकरीबन 1.45 लाख मतदाता हैं. कैंट विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है, जिसमें फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, इंडियन मिलट्री अकेडमी, कैंटोनमेंट बोर्ड, वाडिया इंस्टीट्यूट सहित कई केंद्रीय शिक्षण और शोध संस्थान आते हैं. दूसरी तरफ कैंट विधानसभा में वसंत बिहार जैसी पॉश कॉलोनियां भी मौजूद हैं. ऐसे में इस विधानसभा में सुरक्षा एक अहम और संवेदनशील मुद्दा है. इसके अलावा बात करें स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की तो पिछले कोरोना महामारी के दौरान इस विधानसभा में 1000 लोगों ने कोविड-19 की वजह से अपनी जान गंवाई थी. इस विधानसभा में मौजूद एकमात्र अस्पताल प्रेम नगर जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का अंबार फैला है.
लोगों से बातचीत करने पर हमें जानकारी मिली कि अस्पताल में सुविधाओं की कमी है. इसके अलावा कैंट विधानसभा का एक बड़ा क्षेत्र कृषि भूमि पर बसा हुआ है. जहां पर ड्रेनेज सिस्टम एक सबसे बड़ी समस्या है. वही इसके अलावा बिंदाल नदी के आसपास की मलिन बस्तियां भी इस विधानसभा की एक बड़ी समस्या है.
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