देहरादून: कोरोना का खौफ और लॉकडाउन की पाबंदी क्या होती है, ये हॉटस्पॉट घोषित हुई कॉलोनियां में रहने वाले लोगों से बेहतर भला कौन बता सकता है. ऐसी ही कॉलोनियों में से एक देहरादून की भगत सिंह कॉलोनी भी है, जिसे कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन ने हॉटस्पॉट घोषित कर दिया था. 28 दिन के बाद आज यह कॉलोनी हॉटस्पॉट से बाहर आ चुकी है. इस दौरान यहां के लोगों को क्या-क्या परेशानियां हुईं. किन-किन पाबंदियों से गुजरना पड़ा, ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम भगत सिंह कॉलोनी का जायजा लेने पहुंची. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...
लॉकडाउन को कोरोना की जंग जीतने के लिए अहम हथियार माना जा रहा है. ये बात कोरोना के गढ़ रहे कई इलाकों के लोग ज्यादा बेहतर समझ सकते हैं. खासतौर पर वो गढ़ जो अब कोरोना के खतरे से मुक्त हो चुके हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कोरोना संक्रमण के लिहाज से बेहद संवेदनशील भगत सिंह कॉलोनी भी इन्हीं में से एक है. स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत और लोगों के एहतियात बरतने से अब ये कॉलोनी हॉटस्पॉट मुक्त हो चुकी है.
हॉटस्पॉट से बाहर हुई भगत सिंह कॉलोनी भगत सिंह कॉलोनी एक समय कोरोना वायरस के खतरे के रूप में देखी जा रही थी. यहां बढ़ रहे संक्रमण के मामलों के चलते न केवल इस इलाके को हॉटस्पॉट घोषित कर सील किया गया था. बल्कि यहां निगरानी को भी बेहद ज्यादा बढ़ाया गया था, लेकिन ईटीवी भारत की टीम एक महीने तक पूरी तरह सन्नाटे में रही इस कॉलोनी की अब दूसरी तस्वीर देख रही है.
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यहां लोगों की सड़क पर चहल-पहल सामान्य जिंदगी के हालात को बयां कर रही है. हॉटस्पॉट मुक्त होने से क्षेत्रवासी खुश दिखाई दे रहे हैं. क्षेत्रवासी बताते हैं कि भगत सिंह कॉलोनी से 6 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे. इनमें से 3 लोग जमात में शामिल होकर आए थे. इतने संक्रमितों के चलते ही ये क्षेत्र देहरादून में कोरोना का गढ़ बन चुका था, लेकिन प्रशासन की सख्ती, कोरोना योद्धाओं की मेहनत और लोगों की समझदारी ने हालात को बदल दिया. भगत सिंह कॉलोनी को 04 अप्रैल को सील कर प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया. इसके बाद यहां के लोगों की मुश्किलें बेहद ज्यादा बढ़ गईं. कॉलोनी के लोग बताते हैं कि करीब एक महीने तक पूरा क्षेत्र प्रतिबंधित रहा.
हॉटस्पॉट में क्या-क्या होती हैं पाबंदियां ?
- हॉटस्पॉट में सभी दुकानें पूरी तरह से बंद रहती हैं.
- क्षेत्र में प्रवेश और बाहर जाने वाले सभी रास्तों को पूरी तरह बंद कर दिया जाता है.
- इस इलाके में किसी के जाने या बाहर आने पर पूरी तरह रोक लगा दी जाती है.
- पूरे क्षेत्र को बारीकी से सेनेटाइज किया जाता है.
- लोगों को सामान की आपूर्ति उनके घर तक की जाती है, यानी घरों से बाहर निकलने पर भी पाबंदी होती है.
- स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर और टेलीफोन के जरिए लोगों की जानकारी लेते हैं.
- पुलिस की निगरानी में क्षेत्र पर फिजिकली, सीसीटीवी और ड्रोन के जरिए नजर रखी जाती है.
देहरादून जिले में 7 हॉटस्पॉट थे. इसमें से भगत सिंह कॉलोनी और केशवपुर बस्ती डोईवाला को अब हॉटस्पॉट से मुक्त कर दिया गया है. इस तरह अब 5 हॉटस्पॉट ही जिले में रह गए हैं. भगत सिंह कॉलोनी के लोग बताते हैं कि प्रतिबंध के दौरान पुलिस और प्रशासन ने लोगों की काफी मदद की और यहां लोगों के घरों तक राशन पहुंचाया गया.
हालांकि, आपूर्ति की मात्रा को लेकर लोग कुछ शिकायत करते हुए भी दिखाई दिए. लोगों की मानें तो अब हालात सामान्य होने की तरफ हैं, लेकिन बेरोजगारी अब यहां के लोगों के लिए बड़ा संकट बन गई है. लोग कहते हैं कि वह प्रशासन द्वारा बताए गए नियमों का पालन कर रहे हैं और बाकी लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. प्रतिबंध के दौरान सभी लोगों ने प्रशासन का सहयोग किया और सभी अपने घरों में रहे.
यूं तो भगत सिंह कॉलोनी में संक्रमण के मामले नहीं बढ़ने पर इसे हॉटस्पॉट से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन यहां के लोगों को कोरोना के खतरे को लेकर सजग रहना होगा. रिपोर्टिंग के दौरान क्षेत्र में दिखाई देने वाली कुछ तस्वीरें चिंता बढ़ाने वाली भी हैं. यहां कई लोग बिना मास्क के दिखाई दिए तो कुछ लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नहीं दिखाई दिए. इसकी वजह से भगत सिंह कॉलोनी में कोरोना संक्रमण फिर से फैल सकता है.
सर्विलांस टीम के इंचार्ज डॉ. रचित गर्ग और उनकी टीम ने संदिग्धों को समय रहते चयनित ना किया होता तो इस कॉलोनी में सबसे अधिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन के मामले सामने आए होते, लेकिन संदिग्धों को समय रहते अलग करने से क्षेत्र में संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सका. वहीं, देहरादून में तब्लीगी जमात से आए लोगों के पहुंचने की खबर सामने आते ही रायपुर सीएससी के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. रचित गर्ग को सबसे संवेदनशील भगत सिंह कॉलोनी में सर्विलांस टीम के इंचार्ज की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
डॉक्टर रचित गर्ग बताते हैं कि शुरुआती समय में उन्हें भगत सिंह कॉलोनी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने सभी चीजों को मैनेज कर लिया और जो भी लोग तब्लीगी जमात में शामिल थे, उन्हें क्वारंटाइन कराया गया. वह बताते हैं कि इस काम में उन्हें अपनी टीम के साथ-साथ प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिला.