बार एसोसिएशन ने वकील कमल विरमानी की गिरफ्तार पर जताया विरोध देहरादून: राजधानी देहरादून के रजिस्ट्रार ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में रखे दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में पुलिस ने रविवार 27 अगस्त को देहरादून के नामी वकील कमल विरमानी को गिरफ्तार किया था, जिसे पुलिस ने कोर्ट ने पेश कर जेल भेज दिया था. वहीं, अब वकील कमल विरमानी की गिरफ्तारी का देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने विरोध किया है.
अनिल शर्मा का कहना है कि पुलिस अपनी मनमानी करते हुए छोटे लोगों की गिरफ्तारी कर रही है, जबकि बड़े अधिकारियों को बचाया जा रहा है. अनिल शर्मा ने सवाल किया कि उस समय के अधिकारियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की जा रही है? इस घटना का मुख्य आरोपी केपी सिंह अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की चेतावनी:अनिल शर्मा ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पुलिस सही आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं करती तो बार एसोसिएशन सड़क पर उतरेगा और हाईकोर्ट में जाकर सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) जांच की मांग करेंगे. बता दें कि आरोपी वकील कमल विरमानी इस केस के मुख्य आरोपी सहारनपुर निवासी केपी सिंह (कंवर पाल) को काफी सालों से जानता था.
केपी सिंह मुख्य आरोपी: बताया जा रहा है कि केपी, कमल विरमानी के पास डालनवाला की एक प्रॉपर्टी का केस लेकर आया था, जिसमें कमल विरमानी ने केपी की काफी मदद की थी. उसके बाद केपी ने इनको सहारनपुर में कुछ जमीनों के पुरानी रजिस्ट्री बनवाकर अपने और अपने जानने वालों के नाम चढ़ाकर करोड़ों रुपये कमाने की बातें बतायी थी.
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केपी ने देहरादून में भी पुरानी और विवादित जमीनों पर इसी तरह काम करने के लिए इनसे सलाह मांगी गई थी. पुलिस के अनुसार रुपयों के लालच में आकर कमल विरमानी ने केपी को क्लेमनटाउन, पटेल नगर, रायपुर, नवादा और रैनापुर से सम्बन्धित जमीनों के बारे में बताया था. उन जमीनों की रजिस्ट्री का मैटर (ड्राफ्टिंग) भी बनाकर दिया था और अपने मुंशी रोहताश और वकील इमरान को केपी से मिलवाकर रजिस्ट्रार ऑफिस और तहसील में इनकी मदद करने के लिए बताया था.
क्या हैं आरोप:आरोप है कि पुराने स्टाम्प पेपर और मुहरों की व्यवस्था केपी करता था और उसमें जो मैटर (ड्राफ्टिंग) लिखा जाता था, वह आरोपी कमल विरमानी इनको बनाकर देता था. इसके बाद वकील इमरान और मुंशी रोहताश द्वारा रजिस्ट्रार और राजस्व रिकॉर्ड रूम में अजय क्षेत्री, डालचंद और विकास पांडेय की सहायता से उन कागजों को रिकॉर्ड रूम में रख दिये जाते थे. इसके बाद आरोपी कमल विरमानी द्वारा उनसे सम्बन्धित केसों की पैरवी अपने स्तर से करवाकर राजस्व रिकॉर्ड रूम में नाम दर्ज करा दिया जाता था.
इसके बाद पीड़ितों को विश्वास में लिया जाता था कि जमीन बिल्कुल सही है और पीड़ित भी वकील होने के नाते विश्वास कर लेते थे और जाल में फंस जाते थे. आरोपी की पूछताछ में कई अन्य आरोपियों के नाम भी आए हैं, जिनके संबंध में एसआईटी टीम द्वारा जांच और साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की जा रही है.
बार एसोसिएशन अध्यक्ष के आरोप:बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने आरोप लगाया है कि इस मामले में अब तक नौ आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है, जिसमें पीआरडी का जवान और वकील का क्या रोल है? वकील के पास कोई भी आता है, वकील कागज देखकर काम करते हैं और वकील द्वारा पैरवी की जाती है. पुलिस सबसे ज्यादा कमजोर कड़ी है और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को दबाने का काम कर रही है. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि वह अधिकारी कहां है, जिनके द्वारा इन पेपरों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. कोई वकील द्वारा दाखिल खारिज नहीं किए जा सकते हैं. उस समय के तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार, एसडीएम और एसडीएम प्रशासन पर शिकंजा क्यों नहीं कसा जा रहा है और इसमें शामिल बड़े अधिकारियों की भी गिरफ्तारी करनी होगी.
अनिल शर्मा का कहना है कि यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला है और बार एसोसिएशन इसकी निंदा करती है. उन्होंने कहा कि अगर जल्द से जल्द इस मामले में शामिल अधिकारी लोगों का नाम एसआईटी की टीम उजागर नहीं करती है तो बार एसोसिएशन इसका विरोध करेगी और इसके लिए हाईकोर्ट में जाकर सीबीआई जांच की मांग करेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्य आरोपी केपी सिंह का क्लेमनटाउन में प्रॉपर्टी एक विवादित प्रॉपर्टी में नाम आया था, जिसे पुलिस 41 का नोटिस देकर छोड़ दिया. पुलिस ने खरीददार को ही मुजरिम बना दिया है.
उनका कहना है कि केपी का उच्च अधिकारियों से अच्छा संबंध है या फिर इसमें कुछ न कुछ घोटाला है और यह घोटाला भी बाहर आना चाहिए कि केपी को इतनी छूट क्यों दे रखी है, जो मुख्य आरोपी है, उसकी गिरफ्तारी नहीं की जा रही है. अगर वकील अपने क्लाइंट की पैरवी भी नहीं करेगा तो क्या करेगा? अब क्या सभी मामलों में वकीलों को पुलिस से एनओसी लेनी पड़ेगी. वहीं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले मुख्य आरोपी केपी पुलिस के साथ घूम रहा था और उसे उस समय क्यों नहीं पकड़ा गया?