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तपोवन 'जल प्रलय': पानी के साथ मलबा लाता है तबाही!

जब कोई ग्लेशियर टूटता है, तो उससे पानी का बहाव काफी तेज हो जाता है. ऐसे में पानी के रास्ते में आने वाला हर चीज को पानी अपने अंदर समा लेता है. पानी की साथ आने वाला मलबा पानी के मुकाबले ज्यादा तबाही मचाता है.

chamoli glacier accident
chamoli glacier accident

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Published : Feb 7, 2021, 4:29 PM IST

देहरादून:साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा एक बार फिर लोगों के जहन में ताजा हो गईं हैं. हालांकि साल 2013 के आपदा के दौरान भी हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. उस दौरान भी पानी के साथ भारी मलबा भी आया था, जिसने जानमाल को काफी नुकसान पहुंचा था. इसी तरह रविवार को भी चमोली जिले के जोशीमठ तपोवन धौलीगंगा में ग्लेशियर टूटने के कारण पानी के साथ भारी मलबा भी नीचे की तरफ बढ़ रहा है, जिससे जानमाल को काफी नुकसान होने की आशंका है.

पानी से साथ आने वाला मलबा लाता है तबाही.

ग्लेशियर टूटने की सूचना मिलने के बाद ही आपदा विभाग, एसडीआरएफ समेत सभी संबंधित विभाग अलर्ट मोड पर आ गए हैं. यही नहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी खुद चमोली रवाना हो गए हैं, ताकि वहां की स्थिति का जायजा ले सकें. इसके साथ ही जोशीमठ से लेकर हरिद्वार तक नदी के किनारे बसे लोगों को अलर्ट करने के साथ ही सावधानी बरतने के निर्देश दिए जा रहे हैं. इसके साथ ही मुख्य रूप से अलकनंदा नदी के भी जलस्तर बढ़ने की प्रबल संभावना है. ऐसे में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने जनपद रुद्रप्रयाग की जनता से अपील की है की नदी किनारे रहने वाले लोग नदी के स्थानों से दूर सुरक्षित स्थानों पर जाए.

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ग्लेशियर टूटने पर पानी का बहाव होता है तेज

जब कोई ग्लेशियर टूटता है तो उससे पानी का बहाव काफी तेज हो जाता है ऐसे में पानी के रास्ते में आने वाला हर चीज को पानी अपने अंदर समा लेता है और वह धीरे-धीरे आस-पास मौजूद सभी चीजों को एक साथ लेकर बहना शुरू हो जाता है। यही नहीं, मलवे साथ बहने वाला पानी, सामान्य पानी से काफी खतरनाक होता है क्योंकि उसके अंदर तमाम चीजें मौजूद होती है ऐसे में उसके रास्ते में आने वाला हर चीज क्षतिग्रस्त हो जाता है.

ऐसा ही कुछ साल 2013 में आई भीषण आपदा के दौरान हुआ था. उस दौरान जब चोराबाड़ी झील टूटी थी, तो पानी की बहाव इतना तेज था कि रास्ते में पड़ने वाली सभी चीजों को अपने अंदर समा लिया था. वह पानी पूरी तरह मलबे के रूप में बदल गया, जो धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए हर चीज को क्षतिग्रस्त करता चला गया. साल 2013 का मंजर किसी से छुपा नहीं है. उस दौरान केदारनाथ मंदिर को छोड़ आसपास की सभी चीजें पूरी तरह से खत्म तहस नहस हो गई थीं.

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