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उत्तराखंड में रोजाना सड़क हादसे में होती हैं 4 लोगों की मौत, अब RTO उठाने जा रहा ये बड़ा कदम

उत्तराखंड में सड़क हादसे लगातार चिंता का सबब बने हुए हैं. सड़क हादसों में प्रतिदिन 4 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. ऐसे में अब आरटीओ ओवरलोडिंग और मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों का परमिट निरस्त करने का प्लान बना रहा है.

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Published : Aug 9, 2019, 2:20 PM IST

Updated : Aug 9, 2019, 8:58 PM IST

स्कूली वाहन कर रहे मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन

देहरादून:उत्तराखंड में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. हर रोज होने वाले सड़क हादसों में 4 से ज्यादा लोग काल के गाल में समा रहे हैं. व्यवसायिक और स्कूली वाहन चालक सभी मानकों को ताक पर रखकर केबसूर लोगों की जान लेने पर तुले हैं. पिछले तीन साल से अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रदेश में प्रतिदिन होने वाले सड़क हादसों के आंकड़े आपको हैरान कर देंगे. इन हादसों पर रोक लगाने के लिए आरटीओ अब ऐसे वाहनों के परमिट निरस्त का प्रस्ताव बनाने जा रहा है.

स्कूली वाहन कर रहे मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन

बीते 6 जुलाई को टिहरी में स्कूल वैन हादसे में अब तक 10 मासूम बच्चों की जान जा चुकी है, जबकि कई बच्चे गंभीर अवस्था में अस्पताल में उपचार करा रहे हैं. उधर, गुरुवार को पौड़ी गढ़वाल के यम्केश्वर ब्लॉक में एक बार फिर स्कूल वैन अनियंत्रित होकर 6 बच्चे सहित खाई में गिरी गई. इस हादसे में वाहन में सवार 6 बच्चे बुरी तरह से घायल हुए. जिनको उपचार के लिए एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. गनीमत रही कि इस हादसे में किसी की मौत नहीं हुई. वहीं, आरटीओ के पास इनफोर्समेंट टीम न होने के चलते सड़क हादसों में बढ़ोत्तरी जारी है.

उत्तराखंड के पर्वतीय और मैदानी इलाकों में हो रहे सड़क हादसों पर अंकुश न लगाने की सबसे बड़ी वजह आरटीओ द्वारा सड़कों पर इनफोर्समेंट की कमी सामने आ रही है. देहरादून संभागीय परिवहन विभाग से जानकारी मिली है कि आरटीओ के पास सड़कों पर चेकिंग करने वाले कर्मचारियों की कमी है.

'अंकल हमसे झूठ बोलकर स्कूल वैन ज्यादा बच्चें बिठाते है'

आरटीओ नियम के मुताबिक एक वैन में 12 साल से नीचे के 8 से 10 बच्चे सवार होने चाहिए. जबकि स्कूल वैन में 15 से 20 बच्चे बैठा कर ओवरलोडिंग की जा रही है. उधर, स्कूली बच्चे भी इस बात को मान रहे हैं कि वैन संचालक जबरन उनको झूठ बोलकर क्षमता से ज्यादा बच्चे गाड़ी में बैठा कर सबकी जान जोखिम में डालते हैं.

वैन संचालकों का मानना है कि आरटीओ के टैक्स और इंश्योरेंस के रूप में उनसे सालाना भारी-भरकम रकम वसूली जाती है. ऐसे में उनके सामने वैन में ज्यादा बच्चे बैठाना मजबूरी हो जाती है. उनका कहना है कि अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी आर्थिकी पर असर पड़ता है.

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इस मामले में देहरादून और टिहरी गढ़वाल के आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई का भी मानना है कि सड़कों पर व्यवसायिक और स्कूली वाहनों में ओवरलोडिंग की जा रही है. मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है. उनके मुताबिक हर बार घटनाओं के बाद चलने वाले अभियानों में आरोपी वाहन चालकों पर जुर्माना व चालान जैसे दंड देना अब नाकाफी नजर आता है. ऐसे में अब हादसों के जिम्मेदार वाहनों के परमिट स्थाई रूप से निरस्त करना ही सड़क हादसों को रोकने का एक सख्त भरा कदम हो सकता है.

पिछले 3 साल में आंकड़ों पर नजर
(जनवरी 2017 से 31 जुलाई 2019 तक )

वर्ष दुर्घटनायें मौत घायल
2017 928 564 1009
2018 857 620 970
2019 829 514 911
Last Updated : Aug 9, 2019, 8:58 PM IST

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