देहरादून:उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में टिहरी से बीजेपी विधायक किशोर उपाध्याय के छोटे भाई सचिन उपाध्याय की पत्नी नाजिया युसूफ को गुरुवार को ही केरल को कोच्ची एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन गिरफ्तार के कुछ देर बाद ही नाजिया को कोर्ट से जमानत मिल गई थी. ऐसे में देहरादून से नाजिया को अपनी हिरासत में लेने पहुंची उत्तराखंड पुलिस को खाली हाथ ही वापस आना पड़ा है, लेकिन नाजिया का आपराधिक इतिहास काफी गंभीर है. राजधानी देहरादून के कई थानों में सचिन और नाजिया पर कई मामले दर्ज हैं.
सचिन उपाध्याय और नाजिया द्वारा देहरादून के राजपुर रोड स्थित विवादों में रहने वाले क्लब WIC वर्षों से संचालित है. ऐसे में इस क्लब के कुछ हिस्से का निर्माण अवैध बताकर एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) पहले भी कई बार सीलिंग की कार्रवाई भी कर चुका है.
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2017 में हुआ था मुकदमा दर्ज: जानकारी के मुताबिक, किशोर उपाध्याय के भाई सचिन उपाध्याय की पत्नी नाजिया और सचिन के खिलाफ 2017 में एक मामला राजपुर क्षेत्र से सामने आया, जिसमें उन्होंने अपने पाटनर मुकेश जोशी की संपत्ति को न सिर्फ खुर्दबुर्द किया, बल्कि खुद को मालिक बताते हुए बैंक से 26 करोड़ रुपए का लोन भी लिया. इस मामले में शिकायतकर्ता द्वारा राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया. हालांकि, कुछ समय बाद पुलिस ने इस केस में अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी. लेकिन कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद FR वापस लेते हुए 19 जनवरी 2020 को दोबारा से इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया.
वहीं, फर्जीवाड़े और बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में सचिन उपाध्याय को 2020 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. हालांकि, सचिन की पत्नी नाजिया इस मामले में पुलिस की पकड़ से फरार चलती रही थी. ऐसे में देहरादून एसीजेएम कोर्ट ने नाजिया के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई करते हुए उसे भगोड़ा घोषित कर दिया.
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नाजिया पर 10 हजार रुपए का इनाम: लंबे समय से फरार चल रही नाजिया पहले पुलिस ने एक हजार रुपए का इनाम घोषित किया था. बाद में ये इनाम बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दिया गया. इतना ही अंडर ग्राउंड नाजिया की गिरफ्तारी न होने पर देहरादून पुलिस द्वारा लुकआउट नोटिस जारी किया गया था, जिसके वजह से एक दिन पहले कोच्चि एयरपोर्ट पर पुलिस ने नाजिया को गिरफ्तार किया. देहरादून से उत्तराखंड पुलिस भी नाजिया को लेने के लिए कोच्चि पहुंची थी, लेकिन हाई कोर्ट से नाजिया को जमानत मिल गई, जिसके चलते को कोच्चि से खाली हाथ लौटना पड़ा.