देहरादूनः उत्तराखंड में साल 2019-20 के मुकाबले इस 2021 में 30% अधिक अपराधों का ग्राफ बढ़ा है. हर साल की तरह साल 2021 में भी महिलाओं से जुड़े अपराध सबसे अधिक हैं. इसमें दुष्कर्म, हत्या और महिलाओं से जुड़े तरह-तरह के अपराध सबसे आगे हैं. पुलिस के मुताबिक साल दर साल महिलाओं से जुड़े अपराधों में त्वरित सुनवाई करने से महिलाएं अपराध के खिलाफ सामने आ रही हैं जिस कारण मुकदमा दर्ज करने की संख्या पिछले सालों की तुलना में बढ़ी है. यही कारण है कि महिला अपराध के आंकड़ों का ग्राफ बढ़ा है.
30 नवंबर 2021 तक 3 हजार से अधिक FIR:उत्तराखंड में जहां जनवरी 2019 में कुल पंजीकृत अपराधों की संख्या 10,139 थी. वहीं, साल 2020 में बढ़कर 10,415 हो गई और अब 30 नवंबर 2021 तक 30 फीसदी बढ़ोतरी के साथ राज्यभर में IPC की अलग-अलग धाराओं के अंतर्गत दर्ज अपराध मुकदमों की संख्या 13,484 पहुंच गई है. हालांकि, अभी दिसंबर माह का आंकड़ा आना बाकी है. ऐसे में पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 की तुलना 2021 में 30 फीसदी से अधिक उत्तराखंड में अपराध का ग्राफ बढ़ोतरी के रूप में सामने आया है.
पीड़ितों की सुनवाई कर अधिक FIR दर्ज: साल 2021 में सभी तरह के अपराध व खासकर महिला अपराध बढ़ोतरी को लेकर उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि क्राइम के आंकड़ों के हिसाब से अपराध को नापना मेरे विचार से सही नहीं है. क्योंकि अपराध घटा है या बड़ा है, यह तो जनता की विचारधारणा से सामने आएगा. डीजीपी ने कहा कि 30 नवंबर 2020 को उनके द्वारा डीजीपी का पदभार संभालते ही सख्त और कड़े निर्देश दिए गए.
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उन्होंने बताया कि निर्देश देते हुए कहा कि अपराध की संवेदनशीलता को देखते हुए थाना, चौकी में आने वाली शिकायतों पर गंभीरता से विचार कर अधिक से अधिक मुकदमे दर्ज किए जाएं, ताकि अपराध से पीड़ित लोगों को अधिक से अधिक न्याय मिल सके. उसी का परिणाम है कि क्राइम का ग्राफ आंकड़ा इस तरह का नजर आ रहा है. डीजीपी ने बताया कि गंभीर तरह के अपराधों में उत्तराखंड पुलिस का वर्कआउट 88% है. अपराध में प्रॉपर्टी रिकवरी 70% तक हमारी पहुंच गई है. यह दोनों तरह के प्रदर्शन देश की टॉप पुलिसिंग की श्रेणी में आते हैं.
अपराध नियंत्रण पर जोर देना जरूरीःकानून जानकार और वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि यह अपने आप में चिंता का विषय है. जहां एक ओर हम 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देशभर में बुलंद कर रहे हैं. वहीं, देवभूमि में महिला अपराध साल दर साल बढ़ना यह गंभीर विषय है. उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना से अधिक सुनवाई कर दर्ज मुकदमे की संख्या बढ़ाने वाली बात ही काफी नहीं. पुलिस तंत्र को अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए और अधिक कौशल और जिम्मेदार बनाना होगा. वहीं, दूसरी ओर समाज के लोगों को भी महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के ऊपर अपराध के खिलाफ जागरूक होना होगा.
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