देहरादून: पिछले 3 सालों में उत्तराखंड में महिलाओं के प्रति अपराध में वर्ष दर वर्ष इजाफा हुआ है. इस बात की तस्दीक पुलिस मुख्यालय के आंकड़े करते हैं. अपराधिक घटनाओं के मामलों में भले ही उत्तराखंड देश के अन्य राज्यों की तुलना न्यूनतम प्रांतों में से चौथे नंबर पर हो, लेकिन पिछले 3 सालों में प्रदेश में महिलाओं के प्रति गंभीर किस्म के अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.
पिछले तीन साल में आधी आबादी पर संकट बढ़ा छेड़छाड़, बलात्कार व दहेज हत्या जैसी चिंतादायक घटनाएं वर्ष दर वर्ष बढ़ती चली जा रही हैं. देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति के उलट मैदानी जिलों के साथ-साथ वर्तमान समय में पहाड़ी जिलों में भी महिलाओं को लेकर गंभीर अपराध बढ़ना चिंता का विषय है.
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पुलिस मुख्यालय की अपराध शाखा के अधिकारियों के मुताबिक, पिछले 3 साल के तुलनात्मक अपराध के आंकड़ों पर गौर करते हैं.
वर्ष जनवरी 2017 से लेकर 31 अक्टूबर 2019 तक
अपराध श्रेणी | 2017 | 2018 | 2019 |
महिला व्यपहरण | 236 | 263 | 254 |
बलात्कार | 390 | 505 | 464 |
दहेज हत्या | 60 | 62 | 49 |
लूट | 179 | 125 | 114 |
गृह भेदन | 410 | 270 | 317 |
हत्या | 160 | 189 | 160 |
वाहन चोरी | 1081 | 922 | 763 |
अपहरण | 122 | 157 | 57 |
चोरी | 1012 | 1049 | 765 |
चेन स्नेचिंग लूट | 36 | 36 | 37 |
वाहन लूट | 16 | 24 | 14 |
राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ते गंभीर अपराधों के मामले में पुलिस अधिकारियों का मानना है कि देश के अन्य राज्यों की तुलना उत्तराखंड में अपराध की संख्या काफी निचले स्तर पर है. हालांकि इसके बावजूद 90 फीसदी से अधिक वारदातों को वर्कआउट करना और प्रॉपर्टी रिकवरी में उत्तराखंड का देश में दूसरा स्थान है.
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डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि वर्तमान समय में मैदानी जिलों के अलावा खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति बढ़ने वाले संगीन अपराध की बड़ी वजह सोशल मीडिया निकलकर सामने आई है. इसके अलावा पहले की अपेक्षा अब महिलाएं अपने प्रति होने वाले अपराध के प्रति सतर्क होकर आगे आ रही हैं. जिसके चलते ज्यादा मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं. प्रदेशभर में महिलाओं से जुड़े अपराधिक मामलों की संवेदनशीलता को देखते हुए तत्काल मुकदमा दर्ज करने के सख्त आदेश दिए गए हैं.