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उत्तराखंड में कोरोना के मामले घटे, लेकिन संक्रामकता दर ने चिंता बढ़ाई - संक्रामकता दर उत्तराखंड

एक कोरोना मरीजे कितने लोगों को संक्रमित कर रहा है, इस आंकड़े को रिप्रोडक्शन नंबर या आर-काउट (संक्रामकता दर) के नाम से जाना जाता है. उत्तराखंड में ये 1.28 है, जो चिंताजनक है.

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Published : Aug 3, 2021, 10:32 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के मामले कम होते ही लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी है, जिसका असर है कि प्रदेश में कोरोना केस में बढ़ोतरी देखी गई है. उत्तराखंड में 31 जुलाई शनिवार तक कोरोना के 72 हफ्ते पूरे हो गए है. 70वें (11 से 17 जुलाई), 71 (18 से 24 जुलाई) और 72वें (25 से 31 जुलाई) हफ्ते की तुलना करें तो प्रदेश कोरोना के मामले में 94 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं सबसे ज्यादा चिंता का विषय संक्रामकता दर का उत्तराखंड में एक से ऊपर रहना है.

एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड सरकार के कोरोना हेल्थ बुलेटिन के आधार पर कुछ आंकड़े जारी किए है. इन आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रदेश में 70वें हफ्ते (25 से 31 जुलाई) के बीच कोरोना के एक मामले में बढ़ोतरी देखी गई है. एसडीसी फाउंडेशन के आंकड़ों को हिसाब से 70वें हफ्ते (11 से 17 जुलाई) में 296 नए केस मिले थे. इसी के साथ प्रदेश में कोरोना का ग्राफ 3,41,433 हो गया था.

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वहीं 71वें हफ्ते (18 से 24 जुलाई) में प्रदेश के अंदर कोरोना के 240 नए मरीज मिले हैं. लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में छूट का दायरा बढ़ा और लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू की, उत्तराखंड में कोरोना ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी. 72वें हफ्ते (25 से 31 जुलाई) में प्रदेश में कोरोना के 466 नए मामले सामने आए है. इसके पता चलता है कि प्रदेश में कोरोना ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी है.

71वें हफ्ते (18 से 24 जुलाई) के मुकाबले 72वें हफ्ते में कोरोना के मामले में 94% की वृद्धि हुई है. यह इसीलिए बोला जा रहा है कि 72वें हफ्ते में 71वें हफ्ते के मुकाबले टेस्ट 35 प्रतिशत कम हुए है और कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी हुई है.

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उत्तराखंड के लिए चिंता: उत्तराखंड में कोरोना के मामले कम भले ही आ रहे हो, लेकिन संक्रामकता दर अधिक बनी हुई है. राज्य में संक्रामकता दर 1.17 प्रतिशत चल रही है, जो चिंताजनक है. केंद्रिय गृह सचिव ने हाल ही में राज्यों को पत्र लिखकर कोरोना संक्रामकता दर एक प्रतिशत से नीचे रखने के निर्देश दिए थे, लेकिन उत्तराखंड सहित देश के आठ राज्य ऐसे हैं, जहां पर यह दर एक प्रतिशत से अधिक है.

संक्रामकता दर का मतलब: संक्रामकता दर का मतलब एक मरीज से दूसरे मरीज में संक्रमण फैलने की दर से है. यदि यह दर बढ़ती है तो भविष्य में कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी का खतरा रहता है. एसडीसी फाउंडेशन की रिपोर्ट में 72वें हफ्ते में 71वें सप्ताह की तुलना में 94 प्रतिशत अधिक नए मरीज सामने आए है. ऐसे में संक्रामकता दर का खतरा बढ़ जाता है.

बता दें कि संक्रामकता दर मिरोजम में सबसे ज्यादा 1.52, उत्तराखंड में 1.28, मेघायल में 1.25, केरल में 1.22, सिक्किम में 1.22, हिमाचल प्रदेश में 1.21, दिल्ली में 1.04, मणिपुर में 1.04 और पांडिचेरी में 1.03 है.

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