देहरादून: सुभारती ट्रस्ट से धोखाधड़ी (Subharti Trust property fraud) के मामले में आरोपी मनीष वर्मा, पत्नी नीतू वर्मा और भाई संजीव वर्मा को पांच-पांच साल कठोर कारावास (Court sentences former Congress minister) की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही सभी को पांच-पांच हजार का जुर्माना भी भरना होगा. एसीजेएम चतुर्थ अभिषेक श्रीवास्तव की कोर्ट ने सुनवाई के बाद सजा सुनाई है.
बता दें कि मनीष वर्मा (former Congress minister Manish Verma) कांग्रेस के पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की सरकार में साल 2002 से 2007 तक राज्यमंत्री रह चुके हैं. सुभारती ट्रस्ट के ट्रस्टी की शिकायत पर मनीष वर्मा, उनकी पत्नी व भाई के खिलाफ वर्ष 2012 में मुकदमा दर्ज किया गया था. उन पर आरोप है कि उन्होंने ट्रस्ट को 100 बीघा जमीन बेचने का अनुबंध किया था, लेकिन मौके पर जमीन केवल 33 बीघा ही पाई गई. ऐसे में उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने करीब 67 बीघा जमीन के कागजात फर्जी दर्शाए थे.
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दरअसल प्रेमनगर थाना क्षेत्र के कोटडा संतूरपुर इलाके में मनीष वर्मा ने सुभारती ट्रस्ट के साथ 100 बीघा जमीन बेचने का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट किया था. अनुबंध के अनुसार रुपयों का लेनदेन हुआ, लेकिन सुभारती ट्रस्ट को मौके पर केवल 33 बीघा के कागज की सही पाए गए. जबकि 67 बीघा जमीन के कागज फर्जी रूप में दिखा कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया.
सुभारती ट्रस्ट प्रॉपर्टी धोखाधड़ी मामले में प्रेमनगर थाना पुलिस ने साल 2014 में जांच पूरी तरक मनीष वर्मा, उसकी पत्नी नीतू वर्मा और भाई संजीव वर्मा के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. तभी से मामला कोर्ट में चल रहा था. सुभारती ट्रस्ट के वकील अतुल कृष्ण भटनागर ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल करते हुए जल्द सुनवाई की अपील की थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तेजी से सुनवाई के आदेश दिए थे. लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर तीनों दोषी कोर्ट में उपस्थित नहीं होते थे. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी आरोपी पक्ष की जमानत की याचिका भी खारिज करने के आदेश भी दिए थे. इधर इस पूरे प्रकरण में निचली अदालत के तेजी से सुनवाई के क्रम में तमाम साक्ष्य सबूत और गवाहों के आधार पर सोमवार को पूर्व कांग्रेसी राज्य मंत्री मनीष वर्मा, उनकी पत्नी नीतू वर्मा और भाई संजीव वर्मा को दोषी करार देते हुए 5-5 साल की सजा सुनाई है.