देहरादून: भ्रष्टाचार निवारण विशेष अदालत की एडीजे सप्तम अंजलि नौटियाल ने बिजली का बिल कम करने के नाम पर रिश्वत लेने वाले बिजली कर्मी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत 4 साल का कारावास और 50 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है. साथ ही धारा 7 के तहत तीन साल का कारावास और 50 हजार का अर्थदंड लगाया.
विद्युत बिल को संशोधित करने के एवज में कर्मी ने मांगे थे लाखों रुपए, कोर्ट ने सुनाई सजा - विद्युत वितरण केंद्र
Haridwar Bhupatwala Power Station विद्युत वितरण केंद्र भूपतवाला में तैनात विद्युत कर्मी को रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद कोर्ट ने सजा सुना दी है. दोषी ने एक आश्रम के बिलों की धनराशि को संशोधित करके कम करने के एवज में एक लाख रुपए की डिमांड की. जिसको विजिलेंस टीम ने रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Aug 25, 2023, 9:38 AM IST
गौर हो कि सरकार लोक कल्याण आश्रम हरिद्वार के प्रबंधक संजीव दीक्षित ने 6 फरवरी 2010 को विजिलेंस देहरादून में शिकायत दर्ज कराई थी की विद्युत वितरण केंद्र भूपतवाला में आंकिक के तौर पर कार्यरत महेंद्र कुमार भार्गव, निवासी ज्वालापुर में आश्रम के बिलों की धनराशि को संशोधित करके कम करने के एवज में एक लाख रुपए की डिमांड की. विजिलेंस में शिकायत दर्ज होने के बाद विजिलेंस की ट्रैप टीम ने 8 फरवरी 2010 को महेंद्र कुमार भार्गव को एक लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था.
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विवेचना पूरी करने के बाद नियम के अनुसार 7 अप्रैल 2010 को विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था. विजिलेंस के अभियोजन अधिकारी अनुज साहनी ने बताया है कि महेंद्र कुमार भार्गव पर दोष सिद्ध होने के बाद धारा 7 के तहत 3 साल का कारावास और 50 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है. साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत 4 साल का कारावास और 50 हजार रुपए का अर्थदंड की सजा सुनाई गई है और यह दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी.