ऋषिकेशःशास्त्रों में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. मौजूदा सरकार भी गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रभावी कदम उठाने का दावा करती है. लेकिन देवों की भूमि उत्तराखंड में गायों की जमीनी हकीकत इसके उलट है. सरकारी अनदेखी के चलते सैकड़ों गायें चारा पानी तो छोड़िए, अनुबंधित गौशाला में ही कीचड़ में लोटने और तड़पने को मजबूर हैं. जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
दरअसल, ऋषिकेश नगर निगम (Rishikesh Municipal Corporation) प्रशासन ने कुछ समय पहले निराश्रित गौवंशों को ठिकाना उपलब्ध कराने के लिए भानियावाला की कृष्णा धाम गौशाला (Krishna Dham Gaushala Bhaniyawala) को अनुबंधित किया था. करार के तहत निराश्रित गायों के रहने और चारा-पानी का बेहतर इंतजाम गौशाला संचालक को करना था. इसके लिए बाकायदा अनुबंध में भुगतान भी तय है. बीती 30 सितंबर को आयोजित नगर निगम की बोर्ड बैठक के दौरान गौशाला में गायों के रखरखाव में लापरवाही का मामला उठा था. इस पर सहायक नगर आयुक्त की अगुवाई में गौशाला के स्थलीय निरीक्षण के लिए आठ पार्षदों की एक समिति का गठन किया गया था.
सोमवार को तय दिन पर समिति सदस्य गौशाला का निरीक्षण करने पहुंचे तो गौवंश की दुर्दशा देख उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. चारा-पानी में सदस्यों के मुताबिक लापरवाही मिली है. उन्हें गायें कीचड़ में पड़ी नजर आईं. आरोप है कि निरीक्षण में गौशाला संचालक और कर्मचारियों ने बदसलूकी भी की. इस बीच सदस्यों के साथ धक्का-मुक्की भी हुई. नगर निगम में समिति सदस्यों ने इससे नगर आयुक्त को अवगत कराया. उन्होंने गौशाला संचालक के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम (Prevention of Cruelty to Animals Act) के तहत कार्रवाई की मांग भी की.
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