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8 करोड़ बजट खर्च का मामला, ऋषिकेश नगर आयुक्त की सफाई से संतुष्ट नहीं पार्षद, फिर की जांच की मांग

ऋषिकेश नगर निगम में इन दिनों पार्षदों और नगर आयुक्त राहुल कुमार गोयल के बीच रिश्तों में कुछ तल्खी आ रही है. ये तल्खी केंद्रीय 14वें वित्त आयोग के 8 करोड़ रुपए के बजट खर्च को लेकर है. पार्षदों का आरोप है कि ऋषिकेश नगर आयुक्त ने बजट खर्च के नाम पर बड़ा घोटाला किया है. जिसके लिए वे जांच की मांग कर रहे हैं.

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Published : Aug 31, 2022, 2:14 PM IST

ऋषिकेश: केंद्रीय 14वें वित्त आयोग के करोड़ों रुपए के बजट के खर्च को लेकर भाजपा पार्षद ऋषिकेश नगर आयुक्त की सफाई से संतुष्ट नहीं (Councillors accused Municipal Commissioner) हैं. उन्होंने नगर आयुक्त के स्पष्टीकरण को ही कठघरे में खड़े करते हुए सीधे सीधे घोटाले का आरोप लगा दिया (scam on budget expenditure) है. पार्षदों ने निगम की कार्यशैली के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए सरकार से बजट खर्च के मामले की जांच की मांग एक बार फिर से की है.

दरअसल, केंद्रीय 14वें वित्त आयोग की 8 करोड़ 65 लाख रुपए की रकम के खर्च को लेकर भाजपा पार्षदों ने हाल में प्रेसवार्ता कर गड़बड़ी के आरोप लगाए (budget expenditure of 8 crores in Rishikesh) थे. उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र सौंपकर रकम के बाबत जानकारी मांगी थी. जिसपर नगर आयुक्त राहुल कुमार गोयल ने भी सोमवार को प्रेसवार्ता कर 8 करोड़ 65 लाख रुपए के खर्चे का हिसाब दिया. खर्चे की सूची सार्वजनिक होते ही पार्षद अब और भड़क गए हैं.
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उन्होंने मंगलवार को बैठक कर नगर निगम प्रशासन (Rishikesh Municipal Corporation) की कार्यशैली के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया. पार्षद विकास तेवतिया ने कहा कि बोर्ड बैठक में जब वित्त आयोग की रकम को कूड़ा निस्तारण पर खर्च करने का फैसला हुआ था, तो बगैर बोर्ड की सहमति के आखिर क्यों यह बजट अन्य मदों में खर्च किया गया. उन्होंने इसे पार्षदों के अधिकारों का हनन बताया.

विकास तेवतिया ने कहा कि सदन में लिए निर्णयों के इतर ही निगम प्रशासन को काम करता है, तो फिर बोर्ड की कोई जरूरत नहीं है और बोर्ड भंग कर सभी अधिकार निगम प्रशासन को ही दे देने चाहिए. पार्षद शिवकुमार गौतम ने कहा कि केंद्रीय वित्त के बजट से डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करने वाली एजेंसी को भी लाखों रुपए का भुगतान किया गया है. इसके साथ ही खर्च का जो ब्योरा नगर आयुक्त द्वारा पेश किया गया है, उसमें भी गड़बड़ी साफ तौर पर नजर आ रही है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. जबकि संबंधित एजेंसी कलेक्शन की एवज में नागरिकों से 50 रुपए शुल्क वसूलती है.
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व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से वसूली का यह शुल्क 200 रुपए है. पार्षदों ने पूछा कि निगम को सरकारी बजट से ही यह पैसा एजेंसी को देना है, तो कलेक्शन की एवज में वसूली गई रकम कहां है. उन्होंने तमाम मामलों की सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग एक बार फिर से दोहराई है.

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