देहरादून: कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक कर रहा है. तो वहीं, दूसरी तरफ विभाग की लापरवाही के कारण लोगों में कोरोना वायरस का डर भी फैल रहा है. ताजा मामला स्वास्थ्य विभाग के पत्र के वायरल होने से जुड़ा है, जिसमें एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीजों की पुष्टि होने की बात कही गई है.
दून मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष की ओर से जारी किया गया पत्र. दरअसल दून मेडिकल कॉलेज में विभागाध्यक्ष का एक पत्र वायरल होते ही न केवल स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है, बल्कि इस पत्र ने आम लोगों में भी खौफ का माहौल पैदा कर दिया है. दरअसल, फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष ने दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को पत्र लिखकर एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीजों की पुष्टि होने की बात कही है. पत्र में कहा गया है कि देहरादून के एक अस्पताल में मरीज कोरोना वायरस से ग्रसित पाए गए हैं. ऐसे में प्राचार्य कुछ जरूरी सामान कोरोना वायरस से बचने के लिए उपलब्ध कराएं.
मामले को लेकर जब दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना से ईटीवी भारत ने फोन पर बात की तो उन्होंने इस पत्र को लापरवाही से जोड़ दिया. डॉ. आशुतोष ने कहा कि विभाग अध्यक्ष द्वारा पत्र में कोरोना वायरस के मरीजों की पुष्टि होने की बात गलती से लिखी गई है. इसके लिए विभागाध्यक्ष से लिखित स्पष्टीकरण मांग लिया गया है. उन्होंने कहा कि विभाग अध्यक्ष ने भी अपनी गलती को मानते हुए कुछ सामग्री की जरूरत होने के चलते गलती से यह बात लिखने की बात को स्वीकार किया है.
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प्रिंसिपल ने लापरवाही की बात कही है, लेकिन अंदेशा इस बात का भी है कि कहीं स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस के खौफ से लोगों को दूर रखने के लिए पॉजिटिव मरीजों की बात को छुपाने की कोशिश कर रहा है. ईटीवी भारत के मैक्स सूत्रों के मुताबिक कोरोना वायरस का एक संदिग्ध मरीज अस्पताल में इलाज के लिए आया था. उसमें कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए थे, जिसके बाद उसे दून मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया था.