देहरादून: कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी पाबंदियों का अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है. इसके साइड इफेक्ट्स से भारतीय अर्थव्यवस्था कराह उठी है. लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा है. इकोनॉमी खराब करने के बाद कोरोना वायरस अब उत्तराखंड में सौहार्द को भी बिगाड़ने में जुट गया है.
ऐसा हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि देश के तमाम हिस्सों में सौहार्द को ताक पर रखकर लोग प्रवासियों को गांवों में घुसने पर रोक लगा रखे हैं. ETV BHARAT इस रिपोर्ट के जरिए यह बताने जा रहा है कि कोरोना वायरस किस तरह से सौहार्द बिगाड़ रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था 1930 के दशक के महामंदी के बाद का सबसे बदतर दौर देखने वाली है. लॉकडाउन 3.0 में भारत सरकार ने फंसे लोगों को वापस घर लौटने और आवश्यक चीजों की दुकानें खोलने की अनुमति दी है. ताकि जनजीवन सामान्य हो सके और अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके.
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अनुमति मिलने से बाद प्रवासी लोगों का उत्तराखंड आना जारी है. इन सबके बीच उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों के ग्रामीण प्रवासियों को गांवों में घुसने पर रोक लगा दी थी. ग्रामीणों का कहना है कि आम दिन लोग अपने घरों को वापस नहीं आए. अब जब संकट की घड़ी आई है तो लोग अपने घरों को वापस लौट रहे हैं, जो सरासर गलत है. हालांकि स्थानीय अधिकारियों के समझाने पर ग्रामीण प्रवासियों को गांवों में आने की इजाजत दी.
वहीं, पूरे मामले में उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि शुरुआती दौर में कई जगहों से ऐसी खबरें आईं थी. जिसके बाद सरकार ने ग्राम प्रधानों को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए बजट भी मुहैया कराया था. सरकार ने प्रधानों को जिम्मेदारी दी है कि जो भी प्रवासी गांव आ रहे हैं. उनके लिए रहने-खाने की व्यवस्था की जाए. साथ ही कोई व्यक्ति सौहार्द बिगाड़ने का काम करता है तो सरकार उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.