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कोरोना का कहर : उत्तराखंड का पर्यटन व्यवसाय धराशायी, तीर्थ और पर्यटक स्थलों पर पसरा सन्नाटा

लॉकडाउन से क्षेत्र का तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है. अगर लॉकडाउन आगे जारी रहता है तो अधिकांश लोगों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.

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Published : May 14, 2020, 6:43 PM IST

रुद्रप्रयाग: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने से केदारघाटी में विकास थम गया है. साथ ही क्षेत्र का तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है. वहीं अगर लॉकडाउन आगे भी जारी रहता है तो अधिकांश लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा. अभी तक जारी लॉकडाउन के कारण वाहन चालक, स्वामियों, मजदूरी पर निर्भर रहने वालों, तीर्थाटन और पर्यटन पर निर्भर युवाओं और छोटे तबके के व्यापारियों पर अधिक असर देखने को मिल रहा है.

कोरोना वायरस के कारण जारी तीसरे लॉकडाउन की अवधि आगामी 17 मई को समाप्त हो रही है. वहीं चौथे फेस लॉकडाउन की गाइडलाइन का सभी को इंतजार है. लॉकडाउन के कारण तीर्थ और पर्यटक स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. जिसके चलते वाहन स्वामियों और चालकों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है.

जो वाहन स्वामियों ने बैकों से ऋण लेकर वाहन खरीदे हैं, उनके सामने समस्या किश्त चुकाने की खड़ी है. ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी पर निर्भर रहने वालों के घरों में एक समय के खाने का संकट बना हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण कार्य बंद होने से मजदूर परेशान हैं. क्षेत्र के अंतर्गत तीर्थ और पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर रोक लगने से तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय पर निर्भर रहने वाले युवाओं को भविष्य की चिंता सताने लगी है.

पढ़ें:लॉकडाउन इफेक्ट: दांव पर श्रमिकों की आजीविका, अर्थव्यवस्था की सुस्ती से बढ़ा जोखिम

जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा का कहना है कि अगर आने वाले दिनों में तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय में ढील देने की गाइडलाइन जारी नहीं होती है तो यहां के युवाओं के सामने संकट खड़ा हो जाएगा. मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट ने बताया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार लघु उद्योगों को बढ़ावा देने से बेरोजगारों के सामने स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते है.

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