देहरादून:कोरोना की दूसरी लहर उत्तराखंड के लिए घातक साबित हुई है. प्रदेश में रोज सात से आठ हजार कोरोना के नए मामले सामने आ रहे है. प्रदेश में सैंपल पॉजिटिव दर भी 6.25% है. वहीं इस बार सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि उत्तराखंड में कोरोना ने मैदानी जिलों के साथ पहाड़ी जनपदों में भी कहर ढाया है. शुरुआती चरण में मैदानी जिलों में ही ज्यादा संक्रमित मिल रहे थे. लेकिन, अब पहाड़ों में भी तेजी से मामले बढ़ रहे हैं. एक से दस मई के बीच की स्थिति देखें तो प्रदेश में 27.6 फीसद मामले नौ पर्वतीय जनपदों में आए हैं. ऐसे में पहाड़ पर पहले से ही चौपट स्वास्थ्य सेवाओं ने कोरोना के आगे दम तोड़ दिया है, जिससे सरकार की मुश्किलें और बढ़ गई है. इसी पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में पहले से ही चरमराई हुई स्वास्थ्य सेवाओं ने कोरोना आगे घुटने टेक दिए है. मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पहले ही पहाड़ों के गांव वीरान हो चुके है. ऊपर से कोरोना की मार ने उन्हें बुरी तरह से तोड़ दिया है. ऐसे में पहाड़ों पर रफ्तार पकड़ते कोरोना ने चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि मैदान के मुकाबले वहां न तो स्वास्थ्य सुविधाएं और न ही कोरोना से लड़ने के कोई खास इंतजाम. इन परिस्थितियों में पहाड़ों के दुरस्थ गांव में न तो टेस्ट हो पा रहे है और न ही मरीजों को इलाज मिल पा रहा है. यदि कोरोना इसी रफ्तार से पहाड़ पर चढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में स्थिति और विकट हो जाएगी.
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प्रवासियों के लौटने से प्रदेश में बढ़े संक्रमण के मामले
कोरोना की पहली लहर साल 2020 में बड़ी संख्या में प्रवासी लॉकडाउन लगने के बाद अपने घरों से लौटे थे. उस दौरान प्रदेश में कोरोना के मामले एकाएक बढ़े थे.इस बार भी कोरोना के रफ्तार पकड़ने के बाद कई राज्यों ने अपने यहां कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाया. ऐसे में प्रवासियों ने दोबारा अपने गांव का रूख किया है. पहाड़ों में बड़ी संख्या में प्रवासी लौटे, लेकिन इसी बार प्रदेश में स्थिति पहले से ज्यादा खराब हो गई.
एक मई के बाद प्रवासियों के उत्तराखंड वापस आने का सिलसिला शुरू हुआ. जिसके बाद से ही प्रदेश में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई. आंकड़े भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं. 1 मई से पहले प्रदेश में रोज चार हजार के कम मामले सामने आ रहे थे. वहीं एक मई के बाद ये संख्या 5000 से 8000 के बीच हो गई. यहां गौर करने वाली बात ये है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रदेश में प्रवासी काफी कम संख्या में आए हैं. कोरोना की पहली लहर में सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब तीन लाख प्रवासी वापस आए थे. लेकिन ये आंकड़ा पहले 30 प्रतिशत कम है.