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'तहसीम' और 'रुखसाना' दून चिड़ियाघर के लिए बने मुसीबत! विवादों से वन महकमे में हड़कंप

27 जून को तेंदुओं के दो शावक देहरादून चिड़ियाघर लाए गए थे. लेकिन इन 5 दिनों में इन शावकों को लेकर विवाद पीछा नहीं छोड़ रहे हैं. तहसीम और रुखसाना को लेकर क्या हैं ये विवाद, पढ़िए इस खबर में.

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देहरादून चिड़ियाघर समाचार

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Published : Jul 1, 2023, 7:50 AM IST

देहरादून: दून चिड़ियाघर में तेंदुए के दो शावकों की दस्तक कई विवादों की वजह बन गयी है. स्थिति यह है कि जब से हरिद्वार रेस्क्यू सेंटर से उन्हें चिड़ियाघर लाया गया है, तभी से उन पर विवाद गहराने लगा है. ताजा मामला इन शावकों को चिड़ियाघर में लाने के लिए जरूरी औपचारिकताओं को पूरा न करने से जुड़ा है. हालांकि इस मामले में अभी विभाग के आला अधिकारी स्पष्ट जवाब देने के बजाय, मामले से बचने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं.

तेंदुओं पर तमाशा:देहरादून चिड़ियाघर में तेंदुओं के 02 शावकों पर वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. करीब 5 दिन पहले ही इन शावकों को हरिद्वार के चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर से देहरादून चिड़ियाघर लाया गया था. हैरानी की बात यह है कि शावकों को चिड़ियाघर में रखने से पहले जरूरी औपचारिकताओं को पूरा नहीं करने की बातें सामने आ रही हैं. दरअसल चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर से देहरादून चिड़ियाघर मे लाने और इन्हें रखने को लेकर कई औपचारिकताओं को पूरा करना होता है. खबर है कि इन औपचारिकताओं को पूरा किए बिना ही दोनों शावकों को चिड़ियाघर में लाकर रख दिया गया.

पहले मुस्लिम नाम पर विवाद: वैसे आपको बता दें कि शावकों को चिड़ियाघर लाने के बाद विवाद का यह पहला मामला नहीं है. अभी शावकों को लाए हुए 5 दिन ही हुए हैं. इन 5 दिनों में ही 2 विवाद वन विभाग के गले की फांस बन गए हैं. दरअसल चिड़ियाघर में लाने के साथ ही इन शावकों के नाम को लेकर विवाद शुरू हो गया था. चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर में रहने के दौरान इन दो शावकों के नाम रुखसाना और तहसीम रखे गये थे. बताया गया कि जिन लोगों ने इन शावकों को जंगल में रेस्क्यू किया था, उन्होंने इनके ये नाम रख दिये थे. तभी से चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर में इन दोनों शावकों को इन्हीं नामों से जाना जा रहा था.
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अब सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन का सवाल: हालांकि देहरादून चिड़ियाघर में इन दोनों शावकों को लाने के बाद हिंदू संगठनों ने मुस्लिम नाम रखे जाने पर ऐतराज जता कर उनके नाम बदलने की मांग की थी. खास बात यह है कि वन विभाग ने भी इन दोनों शावकों के नाम बदलने की तैयारी कर ली है. लेकिन यह विवाद थमता इससे पहले ही एक नया और बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. विवाद इस बात का कि इन शावकों को चिड़ियापुर रेस्क्यू सेंटर से चिड़ियाघर में लाने और यहां रखने के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी से कोई परमिशन नहीं मिली. इसके बावजूद इन्हें चिड़ियाघर में कैसे लाया गया, यह एक सवाल बना हुआ है.

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन क्या कहते हैं? हालांकि उत्तराखंड में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने मार्च महीने में ही इन्हें चिड़ियाघर में लाने के लिए अनुमति दे दी थी. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या बिना सेंट्रल जू अथॉरिटी के इस तरह शावकों को किसी चिड़ियाघर में रखा जा सकता है. यही सवाल ईटीवी भारत ने चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा से पूछा.

दून चिड़ियाघर के डायरेक्टर के मांगी जाएगी जानकारी: समीर सिन्हा ने बताया कि उनके द्वारा मार्च महीने में इन दोनों शावकों को चिड़ियाघर में ले जाने की अनुमति दी गई थी. हालांकि सेंट्रल जू अथॉरिटी से ऐसे शावकों को चिड़ियाघर में रखे जाने को लेकर क्या नियम है, इसके लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी के अधिकारियों से बात की जाएगी. साथ ही शावकों को चिड़ियाघर में लाए जाने को लेकर सभी जानकारियां देहरादून चिड़ियाघर के डायरेक्टर नीतीश मणि त्रिपाठी से मांगी गई हैं.
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