देहरादून:हरिद्वार के पथरी प्रति थाना क्षेत्र में बीते दिनों हुए जहरीली शराब कांड के बाद जहां राजनेताओं का गांव में जमघट लगना शुरू हो गया है. तो वहीं, हैरानी की बात यह है कि जब पुलिस के अधिकारी और आबकारी विभाग के अधिकारी इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि ये मौतें जहरीली शराब से हुई हैं, तब हरिद्वार के जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे यह बात मानने के लिए तैयार ही नहीं थे कि यह मौत जहरीली शराब से हुई हैं. मीडिया के पूछे जाने पर जिला अधिकारी दफ्तर कहता रहा कि कि कोई मौत आपसी झगड़े से हुई है तो कोई मौत अत्यधिक शराब पीने से.
हरिद्वार के जिलाधिकारी और एसएसपी के साथ-साथ आबकारी आयुक्त के बयान बेहद अलग हैं. शुरुआती दिनों से ही जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे प्रेस रिलीज के माध्यम से इस बात को खारिज करते आए हैं कि यह तमाम मौत जहरीली शराब से नहीं हुई हैं. जिलाधिकारी अपने बयान में कह रहे थे कि शिवगढ़ और फूलगढ़ में प्रथम दृष्टया यह प्रकरण सामने आया है कि जहरीली शराब से ये मौतें नहीं हुई है. उन्होंने अपने प्रेस रिलीज में बताया था कि अमरपाल की मौत आपसी मारपीट में हुई है. इसके साथ ही 40 वर्ष के मनोज और अरुण की मौत का कारण अत्यधिक शराब पीना बताया गया था. जिला प्रशासन यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि ये मौत जहरीली शराब के कारण हुई हैं.
हरिद्वार एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत जिलाधिकारी के उस बयान को लगातार खारिज कर रहे थे और इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि यह तमाम मौतें जहरीली शराब के कारण ही हुई हैं. एसएसपी मौके पर पहुंचकर ना केवल लोगों से बातचीत के आधार पर यह बात कह रहे थे बल्कि अपनी कार्रवाई को अंजाम देने के बाद उन्होंने यह बात कही थी. अब सवाल यह खड़ा होता है कि इतना बड़े हादसा हो जाने के बाद आखिरकार जिला प्रशासन क्यों इस बात को स्वीकारने से बच रहा था? कहीं ना कहीं आबकारी विभाग और जिला प्रशासन की अनदेखी से यह मौतें हुई हैं? जिसका आंकड़ा आज 9 मौत पर पहुंच गया है.
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